भीमा कोरेगांव केसः कोर्ट ने खारिज की बुद्धिजीवियों की जमानत याचिका, नजरबंद ही रहेंगे एक्टिविस्ट
By जनार्दन पाण्डेय | Published: October 26, 2018 05:46 PM2018-10-26T17:46:05+5:302018-10-26T17:59:31+5:30
Bhima Koregaon case updates: कवि वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवर राव और अरुण फरेरा को पुणे पुलिस ने भीमा-कोरेगांव मामले में अलग-अलग शहरों छापा मारकर हिरासत में लिया था।
महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव मामले में नजरबंद बुद्धिजीवियों को शुक्रवार को भी राहत नहीं मिल पाई है। शुक्रवार को पहले पुणे सेशन कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फ़रेरा और वरनॉन गोंज़ाल्विस की जमानत याचिका को रद्द कर दी।
जबकि शुक्रवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने अुरण फरेरा को अंतरिम जमानत देने और नंजरबंदी खत्म करने की याचिका को भी खारिच कर दी। आज उनके नजरबंदी की तारीख खत्म हो रही थी। लेकिन फिलहाल वे नजरबंद ही रहेंगे।
इसके अलावा शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और दलित बुद्धिजीवी आनंत तेलतुंबड़े के खिलाफ दायर एफआई को रफा-दफा करने के मामले की सुनवाई को 1 नवंबर तक के लिए आगे बढ़ा दिया है। अभी उन पर यह मामला चलता रहेगा।
Bombay High Court adjourned till November 1, Gautam Navlakha & Anand Teltumbde's plea seeking quashing of FIR in Bhima Koregaon case. There will be interim protection from arrest to Gautam Navlakha till November 1.
— ANI (@ANI) October 26, 2018
Bhima Koregaon Case: Pune Sessions Court has also rejected an application of Arun Ferreira and Vernon Gonsalves seeking extension of house arrest for 7 days. https://t.co/QYxnLOzpHm
— ANI (@ANI) October 26, 2018
Bhima Koregaon Case: Pune Police reaches accused Vernon Gonsalves’ residence at Andheri MIDC. Bombay High Court & Pune Sessions Court rejected his application seeking extension of house arrest for 7 days since his house arrest ends today following SC order. pic.twitter.com/A7lnP0nyRw
— ANI (@ANI) October 26, 2018
उल्लेखनीय है कि पुणे पुलिस ने इस साल 1 जनवरी को पुणे के भीमा कोरेगांव युद्ध की वर्षगांठ के बाद हुई हिंसा में कई बुद्धिजीवियों को हिरासत में लिया है।
इसी मामले में कवि वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवर राव और अरुण फरेरा को पुणे पुलिस ने भीमा-कोरेगांव मामले में अलग-अलग शहरों छापा मारकर हिरासत में लिया था।
सुप्रीम कोर्ट सभी आरोपियों को मामले पर अंतिम फैसले तक उनके घरों में नजरबंद रखने का आदेश दिया था। अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट गौतम नवलखा की नजरबंदी खत्म करने का आदेश दिया था।
क्या है भीमा कोरेगांव केस?
महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इस सम्मेलन के बाद राज्य के कोरेगांव - भीमा में हिंसा भड़की थी।
पुणे पुलिस ने दावा किया कि माओवादियों ने पीएम नरेंद्र मोदी की आत्मघाती हमलावर से हत्या करवाने की योजना पर भी विचार किया था।
पुलिस ने इस मामले में तेलुगू कवि वरवर राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फरेरा और वरनन गोंजाल्विस, मजदूर संघ कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को आोरपी बनाया।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस द्वारा पीएम मोदी की हत्या की साजिश के दावे को पूरी तरह बेबुनियाद बताया।
Bombay High Court directs the state to not arrest civil rights activist Anand Teltumbde till October 26, in connection with the case registered against him by Pune police for alleged Maoist links. pic.twitter.com/ULdQUr3cu7
— ANI (@ANI) October 19, 2018