कृषि कानूनों के विरुद्ध में भारत बंद: राकेश टिकैत बोले-जनता ने समर्थन किया, 10 माह से कर रहे हैं प्रदर्शन
By सतीश कुमार सिंह | Published: September 27, 2021 06:03 PM2021-09-27T18:03:20+5:302021-09-27T21:07:00+5:30
भारत बंद का अधिकतर असर गुड़गांव, गाजियाबाद और नोएडा सहित दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में दिखा, जहां से रोजाना हजारों लोग कामकाज के सिलसिले में सीमा पार करते हैं।
नई दिल्लीः केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न किसान यूनियन के भारत बंद के कारण भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनजीवन सोमवार को बाधित हो गया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि किसानों के भारत बंद को अप्रत्याशित समर्थन मिला। बंद शांतिपूर्ण रहा। कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली। बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत बंद सफल रहा, जनता ने इसका समर्थन किया।
केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को विभिन्न किसान यूनियन के 10 घंटे के भारत बंद के कारण देश के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनजीवन प्रभावित रहा। विभिन्न ट्रेनों के रद्द होने और राजमार्ग व प्रमुख सड़कों के बंद होने से हजारों यात्री फंसे रहे। सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक के भारत बंद के दौरान कई जगहों पर प्रदर्शन हुए, जो अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए। इनमें किसी के घायल होने या गंभीर झड़पों की कोई खबर नहीं आई।
Noida: Scores of farmers broke the barricades and reached the Noida Authority office in Sector-6.
— ANI UP (@ANINewsUP) September 27, 2021
Farmers are protesting over their demands including increased compensation for their land acquired by the Noida Authority. pic.twitter.com/wNpCHDhGCx
अगर जनता को कुछ असुविधा हुई तो कोई बात नहीं, एक दिन उन किसानों के साथ एकजुटता में रहें, जो पिछले 10 महीनों से धूप, गर्मी में मुसीबतों (दिल्ली सीमा पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध) का सामना कर रहे हैं। विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया।
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आसपास इसका सबसे अधिक असर दिखा, जो कृषि विरोध के केंद्र रहे हैं। इसके अलावा केरल, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बड़े इलाकों में भी इसका असर दिखा। चालीस किसान संघों के छाता निकाय संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और मुख्य सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और सुबह से ही कई स्थानों पर ट्रेन पटरियों पर बैठ गए। नाकाबंदी शाम चार बजे खत्म हो गई। हालांकि भारत का बड़ा हिस्सा बंद से अछूते रहे।
Bharat Bandh was a success, public supported it. It's okay if public experienced some inconvenience, let one day be in solidarity with farmers who have been experiencing troubles (protesting against farm laws at Delhi border) under sun, heat for last 10 months: Rakesh Tikait, BKU pic.twitter.com/WVWDMRZhoh
— ANI (@ANI) September 27, 2021
उत्तर भारत में लगभग 25 ट्रेनें प्रभावित रहीं। इसके अलावा यात्री वाहनों के साथ-साथ आवश्यक सामान ले जाने वाले ट्रकों की आवाजाही भी अवरुद्ध रही। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में गुड़गांव, गाजियाबाद और नोएडा विशेष रूप से प्रभावित रहे, जिनमें हर दिन हजारों लोग आवाजाही करते हैं। दिल्ली अधिकांशत: अप्रभावित रही, लेकिन इसकी सीमाओं पर ट्रैफिक जाम के कारण लोगों को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लोगों को दफ्तर, कॉलेज और डॉक्टर के पास जाने में देरी हुईं। सड़कों पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें देखी गईं।
किसानों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सहित राष्ट्रीय राजधानी में जाने वाली अन्य सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। इसके अलावा हरियाणा के सोनीपत में कुछ दूर, कुछ किसान पटरियों पर बैठ गए। पंजाब के पटियाला में भी, बीकेयू-उग्राहन के सदस्य अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पटरियों पर बैठ गए।
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लिखा, ‘‘ मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और केन्द्र सरकार ने तीन किसान विरोधी कानून वापस लेने की अपील करता हूं। हमारे किसान अपने अधिकारों के लिए एक साल से अधिक समय से लड़ रहे हैं और अब समय आ गया है जब उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए। मैं सभी किसानों से अपनी बात शांतिपूर्वक तरीके से रखने की अपील करता हूं।’’
#WATCH | Traffic resumes after 'Bharat Bandh' ends, at Ghazipur pic.twitter.com/REjyAjEXlm
— ANI UP (@ANINewsUP) September 27, 2021