भारत बंद: SC/ST Act की रिव्यू पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, खुली अदालत में आज 2 बजे होगी सुनवाई
By कोमल बड़ोदेकर | Published: April 3, 2018 10:56 AM2018-04-03T10:56:27+5:302018-04-03T14:33:19+5:30
एससी-एसटी एक्ट पर केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली, 3 अप्रैल। एससी-एसटी एक्ट पर केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह जल्द ही इस मसले पर सुनवाई करेगा। वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा है कि दलित आंदोलन और भारत बंद के चलते देश में हालात बहुत कठिन है। इस संवेदनशील मुद्दे पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए।
#FLASH: #SupremeCourt agrees for an open court hearing on Centre's review petition over judgement on SC/ST Act. pic.twitter.com/wOe6O52JPT
— ANI (@ANI) April 3, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई खुली अदालत में होगी न कि चैंबर में। इसमें मीडिया आमजन सुनवाई में शामिल हो सकते हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में दोपहर दो बजे से होगी।
इससे पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी सुनवाई आज ही हो जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया और उसने दोपहर 2 बजे का समय निर्धारित किया है।
अपनी याचिका में केंद्र ने कोर्ट से की ये अपील
20 मार्च को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का 20 मार्च का फैसला SC/ ST समुदाय को संविधान के तहत दिए गए अनुच्छेद 21 के तहत जीने के मौलिक अधिकार से वंचित करेगा।
SC/ ST के खिलाफ अपराध लगातार जारी है आंकडें बताते हैं कि कानून के लागू करने में कमजोरी है न कि इसका दुरुपयोग हो रहा है। बता दें कि जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अग्रिम जमानत का आदेश दिया था।
केंद्र ने अपनी पुनर्विचार याचिका में यह भी कहा है कि अगर अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार के तहत आरोपी के अधिकारों को सुरक्षित करना महत्वपूर्ण है तो SC/ ST समुदाय के लोगों को भी संविधान के अनुच्छेद 21 और छूआछात प्रथा के खिलाफ अनुच्छेद 17 के तहत सरंक्षण जरूरी है। अगर आरोपी को अग्रिम जमानत दी गई तो वो पीड़ित को आतंकित करेगा और जांच को रोकेगा।