Basant Panchami 2020: हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर ऐसे मनाया गया बसंत पंचमी का त्यौहार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 30, 2020 08:30 AM2020-01-30T08:30:58+5:302020-01-30T09:46:29+5:30
बताया जाता है कि पिछले 700 सालों से यहां बसंत पंचमी मनाने की रवायत जारी है।
हाथों में पीले फूल, सिर पर पीला साफा, कंधे पर पीला अगरखा, दरगाह पर चढ़ाने के लिए पीली चादर और मुंह में बसंत की कव्वाली। ये नजारा है दिल्ली में स्थित हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह का। यहां बसंत पंचमी का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया गया। बताया जाता है कि पिछले 700 सालों से यहां बसंत पंचमी मनाने की रवायत जारी है।
हजरत निजामुद्दीन औलिया चिश्ती घराने के चौथे संत थे। उनके एक मशहूर शिष्य हुए अमीर खुसरो। खुसरो को पहले उर्दू शायर के तौर पर ख्याति प्राप्त है। दिल्ली में इन दोनों गुरु-शिष्य की दरगाह और मकबरा आमने-सामने ही बनाये गये हैं। जहां हर साल बसंत पंचमी का त्यौहार बनाया जाता है।
बसंत पंचमी का त्यौहार मनाने का किस्सा बेहद दिलचस्प है। बताते हैं कि उनके प्रिय शिष्य हजरत अमीर खुसरो ने दरगाह में सरसों के पीले फूलों के गुच्छे सहित वसंत मनाने की शुरुआत कर अपने बेटे की मौत से उदास पीर को प्रसन्न किया था। खुसरो की "आज रंग है री मां रंग है री" और "सघन बन फूल उठी सरसों" सरीखी वसंत पर रची बंदिशें सात सौ साल बाद आज भी खासतौर से इस दिन दरगाह से संगीत की महफिलों तक में गाई जाती हैं।