'हरियाली क्रांति के रास्ते पर चलकर हासिल किया जा सकता है संतुलित पर्यावरण का लक्ष्य', पर्यावरण सुरक्षा की छेड़ी मुहीम
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 30, 2020 09:20 PM2020-06-30T21:20:01+5:302020-06-30T21:20:01+5:30
हिंदी भाषा के विकास के लिए पर्यावरण पखवाड़ा मनाया जाता है। इसमे सेमिनार और निबन्ध प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है। वैसे ही पर्यावरण सप्ताह और पर्यावरण दिवस पर भी सेमिनार और निबन्ध प्रतियोगिता ही कराई जाती है।
बीते कुछ दशकों में मानव सम्पदा के विकास के साथ-साथ पर्यावरण को काफी हानि हुई है। बड़े-बड़े पर्यावरणकर्मी और वैज्ञानिक यह बता रहे हैं कि इसी हानि का नतीजा है कि आज पूरी पृथ्वी का संतुलन बिगड़ गया है। इस बिगड़ते संतुलन की वजह से ही मनुष्य बड़ी-बड़ी आपदाओं का शिकार हो रहा है। कोरोना महामारी ने आज पूरी दुनिया में पैर पसार लिए हैं। बड़ी जनसंख्या घनत्व वाले शहर आज तबाही के कगार पर हैं। आए दिन भूकम्प आ रहे हैं। टिड्डी दलों के हमले, अमेजन से लेकर उत्तराखंड के जंगल तक दहक रहे हैं।
इन सबका मुख्य कारण पृथ्वी पर मनुष्यों, जानवरों और वनस्पतियों का बिगड़ता संतुलन है। देखा जाए तो भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87 हजार 263 वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्रफल के लिहाज से अपना देश विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत भौगोलिक हिस्सा रखता है। विश्व की कुल जनसंख्या का 17.5% हिस्सा अकेले भारत का है। इस वजह से देश में प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। हमारी जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, लेकिन प्राकृतिक संसाधन सिमट रहे हैं। इसी कारण हमारे देश में प्राकृतिक संशाधनों पर प्रतिव्यक्ति हिस्सेदारी कम होती जा रही है।
इस परिस्थिति में बहुत से राजनेता और विचारक जहां जनसंख्या रोकने की मांग कर रहे हैं। वहीं देश के 18 राज्यों के 202 जिलों में साढ़े 14 हजार स्वयंसेवकों की मदद से 2 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगा चुके पीपल बाबा ने 43 सालों से घटते पेड़ों को बढ़ाने के लिए जबरदस्त मुहीम छेड़ रखी है। वह देश में हरियाली क्रांति लाने का सुझाव देते हैं। उन्होंने अपने इस 15 दिवसीय (1 जून से 15 जून तक ) पर्यावरण पखवाड़े में देश में 40% पेड़ों का हिस्सा प्राप्त करने के लिए 4 बड़ी बातें लागू करनें की अपील की है। उनका कहना है कि देश में श्वेत क्रांति, हरित क्रांति के तर्ज पर हरियाली क्रांति चलाई जानी चाहिए लेकिन हरियाली क्रांति में लोक भागीदारी हो इसे लोगों के संस्कार से जोड़ा जाए इसके लिए उन्होंने कई सुझाव प्रस्तुत किए हैं।
उनका कहना है कि मौलिक कर्तव्यों में हर नागरिक को पेड़ लगाने की बात को जोड़ा जाना चाहिए। समय समय पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण भी इसकी वकालत करता रहा है। हमें पर्यावरण के मामले में अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है। अब पीपल बाबा नें भारत सरकार से यह मांग की है कि मौलिक कर्तव्य नंबर-7 नागरिक प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करने में हर साल एक पेड़ लगाकर उनकी देखभाल करना अनिवार्य किया जाए।
नागरिकों के लिए अनिवार्य घोषित किया जाना चाहिए सीईआर
सिटीजन एनवायरनमेंट रेस्पोंसिब्लिटी (सीईआर) को नागरिकों के लिए अनिवार्य कर्तव्य घोषित किया जाना चाहिए। जैसे सीएसआर एक्ट-2013 के मुताबिक देश के बड़े औधोगिक घरानों को उनके कमाई के 2% भाग को सामजिक कार्यों में खर्च करने के लिए अनिवार्य बना दिया गया था और देश के औधोगिक घरानों और समूहों नें सहर्ष स्वीकार किया था। वैसे ही देश के नागरिकों लिए सिटीजन एनवायरनमेंट रेस्पोंसिब्लिटी तय की जाय कम से कम उन्हें सालभर में एक पेड़ लगाकर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी जरूर दी जाए।
बहुत से लोगों का कहना होता है कि हम पेड़ तो लगाना चाहते हैं, लेकिन उनके पास जमीन ही नहीं है। ऐसे में देश की सरकारों को बंजर जमीनों को हरियाली केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनानी चाहिए।
हिंदी भाषा के विकास के लिए पर्यावरण पखवाड़ा मनाया जाता है। इसमे सेमिनार और निबन्ध प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है। वैसे ही पर्यावरण सप्ताह और पर्यावरण दिवस पर भी सेमिनार और निबन्ध प्रतियोगिता ही कराई जाती है। सरकार को इसमें महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिए जिसके अंतर्गत सरकार लॉक डाउन की तरह सभी को छुट्टी देकर पर्यावरण पखवाड़े में पेड़ लगाने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। हर साल 1 जून से 15 जून तक पर्यावरण पखवाड़े में देश के सभी नागरिक केवल और केवल पेड़ लगाए। पूरा पर्यावरण पखवाड़ा हरियाली क्रांति के लिए समर्पित किया जाना चाहिए।