कोविड-19 के प्रकोप और बम्पर पैदावार से देशी अमरूद के आए बुरे दिन

By भाषा | Published: November 29, 2020 02:51 PM2020-11-29T14:51:07+5:302020-11-29T14:51:07+5:30

Bad days of native guava due to Kovid-19 outbreak and bumper yield | कोविड-19 के प्रकोप और बम्पर पैदावार से देशी अमरूद के आए बुरे दिन

कोविड-19 के प्रकोप और बम्पर पैदावार से देशी अमरूद के आए बुरे दिन

(हर्षवर्धन प्रकाश)

इंदौर (मध्य प्रदेश), 29 नवंबर सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें किसानों का समूह इंदौर नगर निगम की कचरा इकट्ठा करने वाली गाड़ी में देशी अमरूद डालता नजर आ रहा है।

कृषि और बाजार के जानकारों का कहना है कि यह अप्रिय स्थिति कोविड-19 के जारी प्रकोप के साथ ही देशी अमरूद की बम्पर पैदावार की वजह से थोक मंडियों में इसके भावों के धड़ाम से गिरने के चलते बनी है। नतीजतन किसानों के लिए इस फल की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है।

कारोबारी सूत्रों ने रविवार को बताया कि इंदौर की देवी अहिल्याबाई होलकर फल-सब्जी मंडी में देशी अमरूद के भाव बुरी तरह गिर चुके हैं। इन दिनों यह फल थोक बाजार में चार रुपये से 10 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच खरीदा जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि उपज के औने-पौने भाव मिलने को लेकर असंतोष के कारण कई किसानों को अपनी अमरूद की फसल मंडी परिसर में ही छोड़कर लौटते देखा जा सकता है क्योंकि वे इस खेप को लादकर वापस ले जाने के भाड़े का बोझ उठाना नहीं चाहते हैं।

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के अमरूद उत्पादक किसान राजेश पटेल ने "पीटीआई-भाषा" को बताया, "मध्य प्रदेश के साथ ही छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और देश के अन्य राज्यों में देशी अमरूद की बम्पर पैदावार इस फल की कीमतों में गिरावट की सबसे बड़ी वजह है।"

उन्होंने बताया कि कोविड-19 के प्रकोप के कारण दिल्ली की उन मंडियों में अमरूद का थोक कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है जहां से समूचे उत्तर भारत में इस फल की आपूर्ति की जाती है।

कोई 22 एकड़ में अमरूद उगाने वाले पटेल ने बताया, "सबसे ज्यादा मुश्किल उन किसानों को हो रही है जिन्होंने अमरूद की देशी किस्में उगाई हैं। इन किस्मों के फल पेड़ से तोड़े जाने के तीन-चार दिन के भीतर ही पककर खराब हो जाते हैं।"

उन्होंने यह भी बताया कि देशी अमरूद को इस फल की थाईलैंड मूल की उन संकर किस्मों से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है जिनका फल अपेक्षाकृत बड़ा तथा चमकदार होता है और जिसे ज्यादा वक्त तक सहेज कर रखा जा सकता है। इस कारण अमरूद की संकर किस्मों को बाजार में ज्यादा भाव मिलते हैं।

इस बीच, कृषक संगठन किसान सेना के सचिव जगदीश रावलिया ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के सरकारी दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य में अमरूद से रस और गूदा निकालने वाली इकाइयों का बड़ा अभाव है। उन्होंने कहा, "अगर सूबे में पर्याप्त खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां होतीं, तो किसानों को अपनी अमरूद की उपज यूं ही फेंकने पर मजबूर नहीं होना पड़ता।"

इंदौर के फल कारोबारी मोहम्मद अनीस ने दावा किया कि कोरोना वायरस के संक्रमण काल में अमरूद को लेकर स्थानीय ग्राहकों का रुझान घटा है। उन्होंने बताया, "ग्राहक इस गलतफहमी के कारण अमरूद खरीदने में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं कि यह फल ठंडी तासीर का होता है और इसे खाने से उन्हें सर्दी-खांसी हो सकती है।"

हालांकि, शहर के शासकीय अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय के द्रव्य गुण विभाग के प्रमुख हरिओम परिहार ने अमरूद के औषधीय गुण गिनाते हुए कहा, "अगर अमरूद को आग पर थोड़ा भून कर खाया जाए, तो यह फल सर्दी-खांसी के इलाज में मददगार साबित हो सकता है।

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Web Title: Bad days of native guava due to Kovid-19 outbreak and bumper yield

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