बाबूलाल मरांडी 14 सालों के बाद फिर बीजेपी के हुए, कहा- मैं अपने जिद में था, कभी-कभी खुद को मनाना भी कठिन होता है
By एस पी सिन्हा | Published: February 17, 2020 04:19 PM2020-02-17T16:19:11+5:302020-02-17T16:19:11+5:30
आरएसएस के निष्ठावान स्वयंसेवक और समर्पित बीजेपीई रहे बाबूलाल मरांडी ने 2006 में पार्टी से मनमुटाव के बाद झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) नाम से अपनी एक नई पार्टी बना ली थी. जिससे वे लगातार दो बार कोडरमा लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने.
झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी 14 वर्षों के बाद आज एक बार फिर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. रांची के प्रभात तारा मैदान में भव्य समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फूलों की माला पहनाकर बाबूलाल मरांडी का पार्टी में स्वागत किया. इस मिलन समारोह को संबोधित करते हुए बाबूलाल मरांडी ने गृहमंत्री अमित शाह का धन्यवाद किया, साथ ही उपस्थित सभी लोगों के प्रति आभार जताया. उन्होंने कहा कि 2006 में वह घर (बीजेपी) छोड़कर चले गए थे. आज वापस लौट आने की खुशी व्यक्त करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बीजेपी ने मुझे वापस लाने की कोशिश नहीं की. बीजेपी ने उसी वक्त से मुझे वापस पार्टी में लाने की कोशिश की. लेकिन मैं अपने जिद में था. कभी-कभी खुद को मनाना भी कठिन होता है. आज मैं वापस आया हूं तो इसलिए नहीं कि बीजेपी ने चुनाव हारने के बाद मुझे वापस लाने की कोशिश की. यह इतने वर्षों का प्रयास है कि आज मैं घर लौटा हूं.
अपने संबोधन में उन्होंने सबका आभार जताते हुए कहा कि आज पार्टी में मेरा जिस तरह से बांहें फैलाकर स्वागत किया, उसके लिए मैं सबका आभार प्रकट करता हूं. मैं आज पार्टी में आया हूं तो किसी पद के मोह में नहीं आया हूं. मुझे पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी मैं उसे स्वीकार करूंगा. मैं एक आम कार्यकर्ता की तरह काम करूंगा. पार्टी अगर मुझे झाड़ू लगाने का काम भी मुझे देगी तो मैं उसे भी करूंगा. अपने संबोधन में बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है, लोगों की हत्या हो रही है, लेकिन सरकार बेखबर है.
वहीं, बाबूलाल मरांडी के दल में पुनर्वापसी के मौके पर अपने संबोधन में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में हैं, आपके जयघोष से उनतक यह सूचना जानी चाहिए कि बाबूलाल मरांडी बीजेपी में आ गये हैं. उन्होंने पार्टी में बाबूलाल मरांडी का स्वागत करते हुए कहा कि मैं आज झारखंड आकर खुशी महसूस कर रहा हूं कि 14 साल बाद बाबूलाल जी कमल का निशान लेकर पार्टी में लौटे हैं, उनकी घर वापसी हुई है.
उन्होंने कहा कि यह बिरसा मुंडा की धरती है, हमारी सरकार ने आदिवासी शहीदों को पूरा सम्मान दिया है और जब हमें मौका मिला हमने एक आदिवासी बाबूलाल मरांडी को पार्टी की कमान सौंपी. इस अवसर पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, जिनमें कडिया मुंडा, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री रघवुर दास, प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा सहित प्रदेश के सभी बीजेपी सांसद और विधायक सहित हजारों समर्थक मौजूद थे.
यहां बता दें कि बाबूलाल मरांडी झारखंड के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी में आने के बाद उन्हें विधानसभा में नेता विरोधी दल पद की जिम्मेदारी दी जाएगी. राज्य गठन के बाद बीजेपी के नेतृत्व में बनी सरकार में झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री का तमगा पाने वाले बाबूलाल 2006 में कुछ मतभेदों को लेकर बीजेपी से अलग हो गए थे.
इसके बाद उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा के नाम से अलग पार्टी बना ली. हालांकि बीजेपी से अलग होने के बाद बाबूलाल की राजनीति झारखंड में उतना रंग नहीं लाई, जितने कद्दावर वे माने जाते हैं. शायद इसीलिए उन्होंने कहा कि बीजेपी से बाहर रहना उनके लिए राजनीतिक तपस्या रहा.
कभी आरएसएस के निष्ठावान स्वयंसेवक और समर्पित बीजेपीई रहे मरांडी ने 2006 में पार्टी से मनमुटाव के बाद झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) नाम से अपनी एक नई पार्टी बना ली थी. जिससे वे लगातार दो बार कोडरमा लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने. इससे पहले 1991 में मरांडी ने बीजेपी के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पडा था. 1996 में वे फिर शिबू सोरेन से हार गए. इसके बाद बीजेपी ने 1998 में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. पार्टी ने इनके नेतृत्व में झारखंड क्षेत्र की 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर कब्जा कर लिया.
1998 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी ने शिबू सोरेन को संथाल से हराकर चुनाव जीता था, जिसके बाद एनडीए की सरकार में बिहार के 4 सांसदों को कैबिनेट में जगह दी गई, जिसमें से एक बाबूलाल मरांडी भी थे. बिहार से साल 2000 में अलग होकर झारखंड राज्य बनने के बाद एनडीए के नेतृत्व में बाबूलाल मरांडी ने राज्य की पहली सरकार बनाई.
हालांकि बाद में जदयू के हस्तक्षेप के चलते उन्हें अर्जुन मुंडा को सत्ता सौंपनी पड़ी थी. 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कोडरमा सीट से चुनाव जीता, जबकि पार्टी के अन्य उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा. 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में वे राजधनवार सीट से विधायक चुने गये हैं.