स्मृति शेष: जनसंघ से शुरू किया था सियासी सफर, मुख्यमंत्री बनने से पहले उमा भारती को दिया था कुर्सी छोड़ने का वचन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 21, 2019 02:47 PM2019-08-21T14:47:00+5:302019-08-21T14:47:00+5:30

1974 में जनसंघ के टिकट पर बाबूलाल गौर पहली बार भोपाल दक्षिण से विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वह गोविंदपुरा सीट से 1977 से 2003 तक लगातार विधायक रह चुके हैं।

Babulal Gaur, Former Madhya Pradesh CM and Veteran BJP Leader, Dies After Cardiac Arrest | स्मृति शेष: जनसंघ से शुरू किया था सियासी सफर, मुख्यमंत्री बनने से पहले उमा भारती को दिया था कुर्सी छोड़ने का वचन

स्मृति शेष: जनसंघ से शुरू किया था सियासी सफर, मुख्यमंत्री बनने से पहले उमा भारती को दिया था कुर्सी छोड़ने का वचन

Highlights1974 में जनसंघ के टिकट पर बाबूलाल गौर पहली बार भोपाल दक्षिण से विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे।गौर 1999 से 2003 तक वह मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर का बुधवार सुबह एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थ। उनकी उम्र 89 वर्ष थी। ‘नर्मदा अस्पताल’ के निदेशक डॉक्टर राजेश शर्मा ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। 

वह वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे और कुछ समय से अस्पताल में भर्ती थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता गौर 2004-2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और अपनी परंपरागत गोविंदपुरा विधानसभा सीट से 10 बार चुनाव जीत थे। गौर का जन्म दो जून 1930 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ था।

उमा भारती ने कसम देकर दिलवाई सीएम की कुर्सी

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2003 में बीजेपी ने उमा भारती के नेतृत्व में दिग्विजय सिंह के शासन का अंत किया था। 230 सदस्यीय विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने 173 सीटों पर जीत हासिल की थी। बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान चर्चित हुईं उमा भारती को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया।

उमा भारती सिर्फ एक साल ही सीएम पद पर रह पाईं। एक साल के अंदर ही उनके नाम कर्नाटक के हुबली की अदालत से 10 साल पुराने मामले में वॉरंट जारी हो गया। 

नैतिकता के आधार पर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने उमा भारती को इस्तीफा देने के लिए कहा। उस समय बाबूलाल गौर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री थे।

कहा जाता है कि उमा भारती ने गोविंदपुरा से विधायक गौर को इसलिए सीएम बनवाया ताकि मामले में बरी होने के बाद वह दोबारा सत्ता पर आसीन हो सके। उन्होंने गौर को गंगाजल देकर कसम खिलाई कि समय आने पर वह मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे।

कुछ महीने बाद ही उमा भारती के खिलाफ कोर्ट में मामला खारिज हो गया। इसके बाद उमा भारती ने गौर से इस्तीफा देने को कहा लेकिन उन्होंने सीएम की कुर्सी छोड़ने से इंकार दिया।

गौर ने 23 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। अगले 13 महीने में बीजेपी के अंदर खेमेबाजी इतनी बढ़ गई कि शीर्ष नेतृत्व ने तत्कालीन बीजेपी महासचिव शिवराज सिंह चौहान को नया मुख्यमंत्री बनाया।

बहू को टिकट दिलाने के लिए अड़े

विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी ने उम्र के आधार पर बाबू लाल गौर को टिकट नहीं देने का फैसला किया। नाराज गौर टिकट के लिए अड़ गए जिसके बाद उनकी बहू कृष्णा गौर को टिकट दिया गया है। उनकी बहू भोपाल की महापौर भी रह चुकी हैं।

गौर का राजनीतिक सफर

1974 में जनसंघ के टिकट पर बाबूलाल गौर पहली बार भोपाल दक्षिण से विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वह गोविंदपुरा सीट से 1977 से 2003 तक लगातार विधायक चुने गए। 1999 से 2003 तक वह मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। उस समय उमा भारती अटल सरकार में मंत्री थीं।

Web Title: Babulal Gaur, Former Madhya Pradesh CM and Veteran BJP Leader, Dies After Cardiac Arrest

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