बिहार में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट तेज, कई चुनौतियों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग तैयारियों में जुटा
By एस पी सिन्हा | Published: June 18, 2021 07:25 PM2021-06-18T19:25:16+5:302021-06-18T19:35:21+5:30
पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने के बाद अब पंचायत चुनाव की आहट सुनाई पड़ने लगी है। राज्य में अगले दो महीने के बाद पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं।
पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने के बाद अब पंचायत चुनाव की आहट सुनाई पड़ने लगी है। राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य में अगले दो महीने के बाद पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं। इसके लिए चहलकदमी एक बार फिर से तेज हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। पहले इवीएम विवाद और फिर कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते पंचायत चुनाव को टाल दिया गया था।
सूत्रों के मुताबिक राज्य निर्वाचन आयोग ने दूसरे प्रदेशों से एम-2 मॉडल की ईवीएम मंगाने का फैसला किया है। इसके अलावा राज्य निर्वाचन आयोग के पास अपनी भी ईवीएम है। ऐसे में जरूरत को ध्यान में रखकर ही आयोग ईवीएम मंगाई जाएगी। इसके लिए दूसरे राज्यों से ईवीएम उपलब्ध कराने को लेकर पत्र भी लिखे जा रहे हैं। बिहार में तय समय के अंदर पंचायत चुनाव नहीं होने का सबसे बड़ा कारण ईवीएम चुनने का विवाद था। यह विवाद भारत निर्वाचन आयोग और बिहार के राज्य चुनाव आयोग के बीच छिड़ा था।
इस मामले में विवाद इतना बढ़ा कि मामला हाइकोर्ट तक चला गया था। काफी जद्दोजहद के बाद ईवीएम के पेंच को सुलझा लिया गया, लेकिन इस बीच कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे बिहार में अपनी पकड़ मजबूत बना ली। पूरे राज्य में त्राहिमाम था, जिसके कारण स्वभाविक तौर पर इसका आयोजन टला। अब जब राज्य में कोरोना संक्रमण की की दूसरी लहर कम हुई है और संक्रमण पर लगाम लगी है तो चुनाव आयोग ने चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है।
बाढ़ प्रभावित जिलों में चुनाव कराना मुश्किल
सूत्रों के अनुसार आयोग ने आपदा प्रबंधन विभाग को पत्र लिखा है। इसमें बाढ़ प्रभावित जिलों से लेकर प्रखंड और पंचायतों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी गई है। यदि राज्य में कोरोना की तीसरी लहर का कोई असर नहीं दिखता है तो आयोग की रणनीति सितंबर तक चुनाव संपन्न कराने की है। हालांकि राज्य के कई जिलों में भारी बारिश के कारण बाढ़ वाले हालात बन गए हैं। चंपारण के कई गांवों में बाढ़ का पानी घर के अंदर घुसने लगा है। वहीं निचले इलाके से लोगों को बाहर निकालने की कवायद तेज हो गई है। इस बीच चुनाव आयोग के लिए यह बड़ी समस्या बनी है। विस्थापितों को मतदान से वंचित नहीं किया जा सकता है, जिसे ध्यान में रखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग बारिश व बाढ़ प्रभावित पंचायतों का कैलेंडर प्राप्त करने के लिए प्रयासतर है।
परामर्शी समितियां चला रही गांवों की सरकार
दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण के तीसरे लहर की संभावना भी बनी हुई है। अगले दो से तीन महीने में अगर बाढ़ और संक्रमण दोनों की मुश्किलें सामने नहीं रही तो चुनाव आयोग जल्द ही पंचायत चुनाव संपन्न करा सकता है। गांवों में फिलहाल परामर्शी समिति सरकार चला रही है.। इससे जुडे़ अध्यादेश की मियाद भी नवंबर में पूरी हो जाएगी। इसलिए भी आयोग तेजी चाहता है।