Ayodhya Verdict: एनआरआई लेखक ने कहा- देश तो नहीं विदेश में विरोध को लेकर सशंकित

By भाषा | Published: November 10, 2019 08:33 PM2019-11-10T20:33:24+5:302019-11-10T20:33:24+5:30

लंदन में भारतीय उच्चायोग और वहीं के नेहरू केंद्र में काम कर चुकीं लेखिका दिव्या माथुर ने कहा कि ब्रिटेन में बसे अधिकतर भारतीय इस निर्णय से प्रसन्न होंगे क्योंकि इससे भारत में सामाजिक सौहार्द बढ़ेगा।

Ayodhya Verdict: NRI writer said- not even in the country, concerned about the protest abroad | Ayodhya Verdict: एनआरआई लेखक ने कहा- देश तो नहीं विदेश में विरोध को लेकर सशंकित

हिंदी कथाकार और कवयित्री जय वर्मा का मानना है कि चूंकि भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक है।

Highlightsउन्होंने कहा कि भगवान राम केवल धार्मिक नायक ही नहीं संस्कृति के भी एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं। माथुर ने माना कि ब्रिटेन में कुछ ऐसे संगठन हैं, जो भारत विरोधी रुख रखते हैं।

अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आये उच्चतम न्यायालय के निर्णय को अनिवासी भारतीय (एन आर आई) हिन्दी लेखक ‘‘भारतीय संस्कृति को मजबूती’’ देने वाला और दोनों समुदायों को जोड़ने वाला मानते हैं।

हालांकि वे इस बात से आशंकित हैं कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कुछ देशों में भारत विरोधी चंद संगठन विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं जैसा अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद इन देशों में देखा गया था। टैगोर अंतरराष्ट्रीय कला एवं साहित्य महोत्सव में भाग लेने आये इन प्रवासी लेखकों ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए उम्मीद जतायी कि इस निर्णय से दोनों समुदायों के बीच संबंधों को मधुर बनाने में काफी सहायता मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने एक दिन पहले ही अपने ऐतिहासिक फैसले में एक सदी से अधिक पुराने मामले का पटाक्षेप करते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और साथ ही व्यवस्था दी कि पवित्र नगरी में मस्जिद के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए। लंदन में भारतीय उच्चायोग और वहीं के नेहरू केंद्र में काम कर चुकीं लेखिका दिव्या माथुर ने कहा कि ब्रिटेन में बसे अधिकतर भारतीय इस निर्णय से प्रसन्न होंगे क्योंकि इससे भारत में सामाजिक सौहार्द बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि भगवान राम केवल धार्मिक नायक ही नहीं संस्कृति के भी एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं। माथुर ने माना कि ब्रिटेन में कुछ ऐसे संगठन हैं, जो भारत विरोधी रुख रखते हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया कि हाल में जब अनुच्छेद 370 हटाया गया तो ऐसे कुछ संगठनों ने लंदन में प्रर्दशन किया और तोड़फोड़ की। उन्होंने स्वीकार किया कि इस बार भी ऐसे विरोध प्रदर्शन की आशंका नकारी नहीं जा सकती। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि ऐसे संगठनों ने इस बार अपना प्रदर्शन दोहराया तो उनकी साख और समर्थन खो जाएगा।

चार दशक से अधिक समय से ब्रिटेन में रह रहीं हिंदी कथाकार और कवयित्री जय वर्मा का मानना है कि चूंकि भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक है, इसलिए उच्चतम न्यायालय के फैसले से भारत और विदेश में भारतीय संस्कृति को लेकर ‘‘परिपूर्णता का बोध’’ बढ़ेगा। वर्मा ने अनुच्छेद 370 का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय ब्रिटेन में प्रदर्शन हुए। उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कुछ देश हैं जहां अल्पसंख्यकों की आवाज़ के प्रति कुछ सहानुभूति रखी जाती थी।

ऐसे में अयोध्या मुद्दे पर चंद संगठनों के विरोध प्रदर्शन की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।’’ अमेरिका के ह्यूस्टन से आयीं लेखिका कविता वाचक्नवी का मानना है कि यह फैसला विदेशों में रहने वाले अधिकतर भारतीय के पूर्वानुमान के अनुरूप था। उनका मानना है कि इस निर्णय से ‘‘ इतिहास की भूल को ठीक किया गया।’’

ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम "हाउडी मोदी" से जुड़ी रहीं कविता ने कहा कि अमेरिका में कुछ संगठन हैं, जो समय समय पर भारत विरोधी मुद्दों पर प्रदर्शन, गोष्ठी या कार्यक्रम करते रहते हैं। चूंकि मुख्यधारा का मीडिया इन्हें अधिक तवज्जो नहीं देता, इसलिए ऐसी बातें अधिक सामने नहीं आ पातीं। उन्होंने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि अयोध्या फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर भी बड़े सुनियोजित ढंग से विरोध अभियान चला कर एक ‘‘नैरैटिव’’ तय किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि कुछ निहित स्वार्थ वाले तत्वों ने हाउडी मोदी से पहले और अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद सोशल मीडिया पर ऐसे ही अभियान चलाये थे। सूरीनाम में भारतीय दूतावास की प्रथम सचिव रह चुकी और फिलहाल नीदरलैंड में रह रहीं लेखिका पुष्पिता अवस्थी का मानना है कि भारत में जो भी कुछ बड़ा होता है तो उसकी "गूंज, थाप और प्रतिध्वनि" विश्व भर में रह रहे भारतवंशियों के बीच होती है। उन्होंने कहा कि चूंकि भगवान राम भारतीय संस्कृति के चित्त और चेतना में समाये हैं, अत: सभी इससे खुश होंगे।

पचास से अधिक पुस्तकें लिख चुकीं पुष्पिता का कहना है कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय "संवेदनशील और निष्पक्ष" फैसला है। उन्होंने कहा कि राम के गुण और चरित्र विश्व की आवश्यकता हैं क्योंकि वे विश्व मानव हैं। उनका मानना है कि इस फैसले का केवल वे ही भारतवंशी विरोध कर सकते हैं जो " अपने देश से ऊपर करियर को रखते हैं। उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के खिलाफ कुछ ब्रिटिश पाकिस्तानी समूहों के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग को निशाना बनाया था। 

Web Title: Ayodhya Verdict: NRI writer said- not even in the country, concerned about the protest abroad

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे