Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उठाए कई सवाल, जानें बैठक खास बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 17, 2019 05:05 PM2019-11-17T17:05:16+5:302019-11-17T17:05:16+5:30

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करने का निर्देश दिया था।

Ayodhya Verdict: Muslim personal law board raised many questions regarding Supreme Court verdict, know meeting special things | Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उठाए कई सवाल, जानें बैठक खास बातें

Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उठाए कई सवाल, जानें बैठक खास बातें

Highlightsमुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कई कमियां गिनाई हैं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि गुंबद के नीचे राम जन्मस्थान होने के प्रमाण नहीं मिलते हैं।

ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है। बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि बैठक में फैसला लिया गया है कि अयोध्या मामले पर गत नौ नवम्बर को दिये गये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी। इसके साथ ही बोर्ड ने कई सवाल उठाए। 

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कई कमियां गिनाई हैं और कहा कि गुंबद के नीचे राम जन्मस्थान होने के प्रमाण नहीं मिलते हैं। कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझ से परे है। उसके के फैसले को चुनौती देंगे।

उन्होंने कहा, बोर्ड का मानना है कि मस्जिद की जमीन अल्लाह की है और शरई कानून के मुताबिक वह किसी और को नहीं दी जा सकती। उस जमीन के लिये आखिरी दम तक कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। जीलानी ने कहा कि 23 दिसंबर 1949 की रात बाबरी मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां रखा जाना असंवैधानिक था तो उच्चतम न्यायालय ने उन मूर्तियों को आराध्य कैसे मान लिया। पढ़ें मुस्लिम बोर्ड द्वारा उठाए सवाल व खास बातें...

पहला सवाल: 23 दिसंबर 1949 की रात बाबरी मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां रखा जाना असंवैधानिक था तो SC ने उन मूर्तियों को आराध्य कैसे मान लिया? 

दूसरा सवाल: बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि विवादित भूमि पर नमाज पढ़ी जाती थी और गुंबद के नीचे जन्मस्थान होने के कोई प्रमाण नहीं है। उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर फैसले समझ के परे है। बोर्ड ने कहा कि हमने विवादित भूमि के लिए लड़ाई लड़ी थी, वही जमीन चाहिए। किसी और जमीन के लिए हमने लड़ाई नहीं लड़ी थी।

तीसरा सवाल: बोर्ड ने कहा कि मस्जिद शिफ्ट नहीं हो सकती। दूसरी जगह लेने का सवाल नहीं है। 

चौथा सवाल: पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों ने कहा कि जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि वहां पर मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई।

पांचवा सवाल: जिलानी ने कहा कि शरीयत के हिसाब से जहां एक बार मस्जिद बन जाती है,  वहां मस्जिद ही रहती है। मस्जिद के बदले हम रुपया पैसा वा दूसरी जमीन नहीं ले सकते हैं। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही पीठ ने अयोध्या में प्रमुख स्थल पर मस्जिद निर्माण के लिये उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आबंटित करने का निर्देश केन्द्र को दिया था।

संविधान पीठ ने स्पष्ट किया था कि केन्द्र सरकार 1993 में अयोध्या में कतिपय क्षेत्र का अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहीत की गयी करीब 68 एकड़ भूमि में से सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आबंटित कर सकती है या फिर राज्य सरकार अयोध्या में ही किसी अन्य उचित प्रमुख जगह पर भूखंड का आवंटन कर सकती है।

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