Ayodhya Verdict: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- दूसरी जगह जमीन स्वीकार नहीं करेगा मुस्लिम पक्ष, पुनर्विचार अर्जी करेंगे दायर
By रामदीप मिश्रा | Published: November 17, 2019 03:48 PM2019-11-17T15:48:06+5:302019-11-17T16:04:53+5:30
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कई कमियां गिनाई हैं और कहा कि गुंबद के नीचे राम जन्मस्थान होने के प्रमाण नहीं मिलते हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार (17 नवंबर) को लखनऊ में वर्किंग कमेटी की अहम बैठक की। इसके बाद उसने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मुस्लिम पक्ष दूसरी जगह जमीन स्वीकार नहीं। हमें वही जमीन चाहिए, जिसके लिए लड़ाई लड़ी गई है। इस संबंध में वह पुनर्विचार याचिका दायर करेगा।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कई कमियां गिनाई हैं और कहा कि गुंबद के नीचे राम जन्मस्थान होने के प्रमाण नहीं मिलते हैं। कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझ से परे है। उसके के फैसले को चुनौती देंगे।
इधर, जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमें मालूम है कि हमारी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाएगी लेकिन हमें याचिका दायर करना चाहिए। ये हमारा अधिकार है। बोर्ड के सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जा सकता।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही पीठ ने अयोध्या में प्रमुख स्थल पर मस्जिद निर्माण के लिये उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आबंटित करने का निर्देश केन्द्र को दिया था।
संविधान पीठ ने स्पष्ट किया था कि केन्द्र सरकार 1993 में अयोध्या में कतिपय क्षेत्र का अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहीत की गयी करीब 68 एकड़ भूमि में से सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आबंटित कर सकती है या फिर राज्य सरकार अयोध्या में ही किसी अन्य उचित प्रमुख जगह पर भूखंड का आवंटन कर सकती है।