अयोध्या फैसले पर मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने दायर की सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका
By रामदीप मिश्रा | Published: December 2, 2019 03:19 PM2019-12-02T15:19:42+5:302019-12-02T15:46:09+5:30
उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में संपूर्ण 2.77 एकड़ विवादित भूमि को रामलला विराजमान को सौंपने का आदेश दिया है। पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने केंद्र को अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का भी निर्देश दिया है।
अयोध्या फैसले को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (02 दिसंबर) को पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। यह पुनर्विचार याचिका मौलाना अशहद रशीदी ने दायर की है। बता दें, जमीयत की कार्यकारी समिति ने 14 नवंबर को पांच सदस्यों का एक पैनल गठित किया था जिसमें कानूनी विशेषज्ञ और धार्मिक मामलों के विद्वानों को शामिल किया गया था। इस समिति का गठन उच्चतम न्यायालय के नौ नवंबर के फैसले के प्रत्येक पहलू को देखने के लिए किया गया था।
जमीयत मेंबर अरशद मदनी की अगुवाई में इस पैनल ने शीर्ष अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका की संभावनाओं का अध्ययन किया और सिफारिश की इस मामले में समीक्षा याचिका दायर की जानी चाहिए।
Maulana Syed Ashhad Rashidi, legal heir of original Ayodhya land dispute, files review petition in the Ayodhya land dispute case in Supreme Court.
— ANI (@ANI) December 2, 2019
इधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी ने कहा है कि हम आज (सोमवार) सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अयोध्या मामले में को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले नहीं हैं। हमने पुनर्विचार याचिका तैयार की है और हम इसे 9 दिसंबर से पहले किसी भी दिन कर सकते हैं।
Zafaryab Jilani, All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB): We are not going to file the review petition (in the Ayodhya case) before Supreme Court today. We have prepared the review petition and we can do it any day before 9th December. pic.twitter.com/wrujXqrQUc
— ANI (@ANI) December 2, 2019
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में संपूर्ण 2.77 एकड़ विवादित भूमि को रामलला विराजमान को सौंपने का आदेश दिया है। पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने केंद्र को अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का भी निर्देश दिया है।
जमीयत बल्कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा कि नौ दिसंबर से पहले एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दायर करने के पक्ष में नहीं है।