Ayodhya Verdict: जानिए क्या है बर्लिन वॉल मामला जिसका पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपने संबोधन में किया जिक्र
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 9, 2019 07:46 PM2019-11-09T19:46:31+5:302019-11-09T19:46:31+5:30
प्रधानमंत्री ने उच्चतम न्यायालय के अयोध्या मामले में फैसला सुनाये जाने के बाद राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज नौ नवंबर है। यह वही तारीख थी जब बर्लिन की दीवार गिरी थी। दो विपरीत धाराओं ने एकजुट होकर नया संकल्प लिया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया है अब देशवासियों को राष्ट्र निर्माण का संकल्प लेकर नये भारत के निर्माण में जुटना होगा।
मोदी ने नौ नवंबर को आये शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुये कहा कि आज ही के दिन बर्लिन की दीवार गिरी थी, जिससे दो विपरीत विचारधाराओं के उस संकल्प की याद ताजा होती है जो सभी को मिलजुल कर आगे बढ़ने का संदेश देता है।
प्रधानमंत्री ने उच्चतम न्यायालय के अयोध्या मामले में फैसला सुनाये जाने के बाद राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज नौ नवंबर है। यह वही तारीख थी जब बर्लिन की दीवार गिरी थी। दो विपरीत धाराओं ने एकजुट होकर नया संकल्प लिया था।
PM Modi: Today is 9th November, the day when Berlin wall was brought down. Today the #KartarpurCorridor was also inaugurated. Now the Ayodhya verdict, so this date gives us the message to stay united and move forward https://t.co/ugFLOzroE4pic.twitter.com/fK0Cwc2KG2
— ANI (@ANI) November 9, 2019
आज नौ नवंबर को करतारपुर साहिब कॉरिडोर की शुरुआत हुयी इसमें भारत और पाकिस्तान दोनों का सहयोग रहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज अयोध्या पर फैसले के साथ ही नौ नवंबर की यह तारीख हमें साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख भी दे रही है। आज के दिन का संदेश जुड़ने का, जोड़ने का और मिलकर जीने का है।’’
बर्लिन की दीवार 9 नवंबर, 1989 को गिरा दी गयी थी और आज इसकी 30वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर गूगल ने एक खास अंदाज में डूडल बनाकर बर्लिन की दीवार गिराने की एनिवर्सिरी मना रहा है। इस दीवार की वजह से शीत युद्ध के दौरान पूर्वी यूरोप के कम्युनिस्ट पश्चिमी यूरोप में दाख़िल नहीं हो पाते थे। मालूम हो कि इस दीवार के गिरने के साथ कम्युनिस्ट शासन का समापन हो गया।
जानिए क्यों बनाई गई थी बर्लिन की दीवार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद यूरोप कम्युनिस्ट पूर्वी और पूंजीवादी पश्चिमी दो भागों में बांट दिया गया था। इस दीवार को 13 अगस्त 1961 को बनाया गया था और 9 नवम्बर, 1989 में इसे तोड़ दिया गया। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी का विभाजन हो गया था। बता दें कि अधिक संख्या में मजदूर और व्यवसायी प्रतिदिन पूर्वी बर्लिन को छोड़कर पश्चिमी बर्लिन जाने लगे। बहुत से लोग राजनैतिक कारणों से भी समाजवादी पूर्वी जर्मनी को छोड़कर पूंजीवादी पश्चिमी जर्मनी जाने लगे। इससे पूर्वी जर्मनी को आर्थिक रूप से नुकसान होने लगा।
इसलिए बर्लिन की दीवार को बनाया ताकि प्रवासन को रोका था। इस दीवार के विचार की कल्पना वाल्टर उल्ब्रिख़्त के प्रशासन ने की और सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव ने इसे मंजूरी दी।