अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करेगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जानें प्रेस कॉन्फ्रेंस की बड़ी बातें
By रामदीप मिश्रा | Published: November 17, 2019 03:06 PM2019-11-17T15:06:55+5:302019-11-17T15:53:45+5:30
Ayodhya Verdict: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करने का निर्देश दिया था।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार (17 नवंबर) को वर्किंग कमेटी की अहम बैठक बुलाई, जिसमें एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हुए। बैठक अब समाप्त हो गई है। बोर्ड के सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जा सकता। जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमें मालूम है कि हमारी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाएगी लेकिन हमें याचिका दायर करना चाहिए। ये हमारा अधिकार है।
AIMPLB के प्रेस कॉन्फ्रेंस की बड़ी बातेंः-
- गुंबद के नीचे जन्मस्थान होने के प्रमाण नहीं मिलते हैं।
- कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझ से परे है।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे।
- हम दूसरी जगह जमीन स्वीकार नहीं करेंगे।
Maulana Arshad Madani, Jamiat Ulema-e-Hind on AIMPLB meeting on Supreme Court's Ayodhya Verdict: Despite the fact that we already know that our review petition will be dismissed 100%, we must file a review petition. It is our right. pic.twitter.com/VvvnkqEtnX
— ANI UP (@ANINewsUP) November 17, 2019
बताया जा रहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर चर्चा और पुनर्विचार याचिका दायर करने के बारे में निर्णय लेने पर भी चर्चा हुई है। हालांकि इस बैठक का राम मंदिर/बाबरी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने बहिष्कार कर दिया।
#UPDATE: The meeting of All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) has now concluded. https://t.co/F8DB0g62kM
— ANI UP (@ANINewsUP) November 17, 2019
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही पीठ ने अयोध्या में प्रमुख स्थल पर मस्जिद निर्माण के लिये उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आबंटित करने का निर्देश केन्द्र को दिया था।
संविधान पीठ ने स्पष्ट किया था कि केन्द्र सरकार 1993 में अयोध्या में कतिपय क्षेत्र का अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहीत की गयी करीब 68 एकड़ भूमि में से सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आबंटित कर सकती है या फिर राज्य सरकार अयोध्या में ही किसी अन्य उचित प्रमुख जगह पर भूखंड का आवंटन कर सकती है।