अयोध्या विवाद: कोर्ट ने कहा विश्वास के कारण हिंदू रेलिंग पर करते थे पूजा, मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा- हो सकता है हिंदू उसे नष्ट करने के लिए वहां जाते रहे हों

By भाषा | Published: September 19, 2019 05:46 AM2019-09-19T05:46:59+5:302019-09-19T05:46:59+5:30

पीठ ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले की 26 वें दिन सुनवाई करते हुए कहा कि 1850 के दशक में रेलिंग बनाए जाने से पहले दोनों समुदाय के सदस्य अंदर जा रहे थे, और 'राम चबूतरा' के रेलिंग के इतने करीब होने से कुछ महत्व मिला है क्योंकि हिंदू लोग मध्य गुंबद के नीचे जन्मस्थान मानकर पूजा कर रहे हों।

Ayodhya SC view on Hindu belief in birthplace of Lord Ram evokes sharp reaction from Muslim lawyerमुस्लिम पक्षकारों ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय के उस अवलोकन को ‘अनुमान’ बताया जिसमें, कहा गया कि हिंदू समुदाय के लोग राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के विवादि | अयोध्या विवाद: कोर्ट ने कहा विश्वास के कारण हिंदू रेलिंग पर करते थे पूजा, मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा- हो सकता है हिंदू उसे नष्ट करने के लिए वहां जाते रहे हों

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsउच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई पूरी करने के लिये बुधवार को 18 अक्टूबर तक की समय सीमा निर्धारित कर दी। शीर्ष अदालत के इस कदम से 130 साल से भी अधिक पुराने अयोध्या विवाद में नवंबर के मध्य तक फैसला आने की संभावना बढ़ गयी है। 

मुस्लिम पक्षकारों ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय के उस अवलोकन को ‘अनुमान’ बताया जिसमें, कहा गया कि हिंदू समुदाय के लोग राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के विवादित ढांचे के मध्य गुंबद में कुछ देवत्व का विश्वास करते थे, जिसकी वजह से उन्होंने 1855 में अंग्रेजों द्वारा लगाई गई रेलिंग (जंगला) पर पूजा शुरू की। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ मुस्लिम पक्षकारों की उन दलीलों का गहनता से पड़ताल कर रही थी कि हिंदू उपासकों की कभी भी मध्य गुंबद तक पहुंच नहीं थी और वे रेलिंग पर पूजा करते थे। पीठ ने मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से कहा कि हो सकता है कि 'राम चबूतरा' का निर्माण 1885 में हुआ हो, लेकिन यह रेलिंग बनाने (हिंदुओं के आंतरिक आंगन में प्रवेश पर रोक) के साथ मेल खाता है। पीठ ने कहा, ‘‘राम चबूतरा को रेलिंग के निकट क्यों बनाया गया था। हिंदू मध्य गुंबद में कुछ देवत्व का विश्वास करते थे और यही कारण है कि वे रेलिंग पर पूजा कर रहे थे।’’ इसपर धवन ने तेज स्वर में कहा, ‘‘यह सिर्फ माई लॉर्ड्स का अनुमान है। बाद में उन्होंने टिप्पणी के लिए माफी मांगी। 

पीठ ने उनसे पूछा था कि ‘‘क्या हिंदू इस विश्वास के साथ रेलिंग पर पूजा कर रहे थे कि देवता का जन्म स्थान मध्य गुंबद के नीचे था।’’ इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 'ध्वस्त किये जा चुके ढांचे' के मध्य गुंबद समेत एक तिहाई क्षेत्र को 'राम लला' को सौंपने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि मध्य गुंबद के नीचे ही भगवान का जन्मस्थान था। शीर्ष अदालत ने मध्य गुंबद के पास रेलिंग के साथ 'राम चबूतरा' की निकटता के बारे में धवन से पूछताछ की। धवन सुन्नी वक्फ बोर्ड और मूल वादकार एम सिद्दीक सहित अन्य की तरफ से पेश हुए थे। 

पीठ ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले की 26 वें दिन सुनवाई करते हुए कहा कि 1850 के दशक में रेलिंग बनाए जाने से पहले दोनों समुदाय के सदस्य अंदर जा रहे थे, और 'राम चबूतरा' के रेलिंग के इतने करीब होने से कुछ महत्व मिला है क्योंकि हिंदू लोग मध्य गुंबद के नीचे जन्मस्थान मानकर पूजा कर रहे हों। पीठ ने धवन से जानना चाहा, ‘‘लोग रेलिंग के पास क्यों जाते हैं। वे वहां जाते हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि यह (मध्य गुंबद) जन्मस्थान था ... इस बात के मौखिक प्रमाण हैं कि हिंदुओं ने रेलिंग पर पूजा की।’’ 

वरिष्ठ अधिवक्ता ने जवाब दिया, ‘‘मैं जिज्ञासा से रेलिंग के पास जाऊंगा ... वे (हिंदू) संभवतः उस जगह को नष्ट करने के लिए वहां जा रहे हों, क्योंकि काफी लंबे समय से वहां बहुत तनावपूर्ण स्थिति व्याप्त थी। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में कोई साक्ष्य नहीं है कि हिंदुओं ने रेलिंग पर पूजा की। वरिष्ठ अधिवक्ता ने बाद में पीठ से कहा, ‘‘मुझे अनुमान शब्द का इस्तेमाल करने के लिये खेद है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब आप थके हुए होते हैं तो अधिक आक्रामक हो जाते हैं।’’ पीठ ने इसपर कहा, ‘‘अगर आप थक गए हैं तो हम दिन की सुनवाई को समाप्त कर सकते हैं।’’ 

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई पूरी करने के लिये बुधवार को 18 अक्टूबर तक की समय सीमा निर्धारित कर दी। शीर्ष अदालत के इस कदम से 130 साल से भी अधिक पुराने अयोध्या विवाद में नवंबर के मध्य तक फैसला आने की संभावना बढ़ गयी है। 

शीर्ष अदालत इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है।

Web Title: Ayodhya SC view on Hindu belief in birthplace of Lord Ram evokes sharp reaction from Muslim lawyerमुस्लिम पक्षकारों ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय के उस अवलोकन को ‘अनुमान’ बताया जिसमें, कहा गया कि हिंदू समुदाय के लोग राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के विवादि

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