एक और विवाद! राम मंदिर न्यास पर 4000 रुपये मीटर की जमीन 28090 रुपये में खरीदने का आरोप, कांग्रेस ने उठाए सवाल
By शीलेष शर्मा | Published: June 20, 2021 02:34 PM2021-06-20T14:34:11+5:302021-06-20T14:39:44+5:30
कांग्रेस ने पूछा कि महज 79 दिनों में जमीन की कीमत 1250 फीसदी कैसे बढ़ गयी जबकि सरकार की ओर भूमि की कीमत 4000 रु प्रति वर्ग मीटर आंकी गयी थी।
नई दिल्ली: राम मंदिर के निर्माण के लिए जमीन की खरीद को लेकर जारी विवाद ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल खड़ा कर दिया है। राजनेतिक दलों का आरोप है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की मिली भगत से जमीन खरीद में करोड़ो का घोटाला किया जा रहा है।
पिछले दिनों कथित तौर पर 2 करोड़ की जमीन 18 करोड़ में राम मंदिर न्यास द्वारा ख़रीदे जाने का मामला सुर्खियों में था। अब उसी सिलसिले में एक और खुलासा होने का दावा किया जा रहा है। इसके तहत 4000 रूपए प्रति वर्ग मीटर की ज़मीन राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने कथित तौर पर 28090 रूपए प्रति वर्ग मीटर में खरीद डाली।
देश के करोड़ो लोगों द्वारा चंदे से एकत्र हुई धनराशि के दुरूपयोग और कथित जमीन घोटाले को लेकर कांग्रेस, माकपा और सपा ने केंद्र सरकार , योगी सरकार और भाजपा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
'पीएम मोदी और सीएम योगी दें देश को जवाब'
कांग्रेस ने पूछा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश को बताएं कि महज 79 दिनों में जमीन की कीमत 1250 फीसदी कैसे बढ़ गयी जबकि सरकार द्वारा भूमि की कीमत 4000 रु प्रति वर्ग मीटर आंकी गयी थी तो राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने इसे 28090 रु प्रति वर्ग मीटर में क्यों खरीदी।
वहीं, कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा कि अब तो राम जन्म भूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास भी कह रहे हैं कि ट्रस्ट के पैसे का इस्तेमाल कैसे हो रहा है, इस बावत चम्पत राय ने कोई मशविरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि नृत्य गोपाल दास का आरोप इस बात एक संकेत देता है कि न्यास में बैठे लोग करोड़ो का घोटाला कर रहे हैं।
कांग्रेस का यह भी आरोप है कि जमीन बेचने वाला दीप नारायण उत्तर प्रदेश भाजपा का नेता है और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का नजदीकी रिश्तेदार है। आरोप हैं कि दीप नारायण ने 2247 के भाव से जमीन खरीदी और महज 79 दिनों में 28090 की रेट पर ट्रस्ट को यह जमीन बेच दी।
वाम नेता सीताराम येचुरी , सपा नेता अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ इस पूरे मामले की सर्वोच्च न्यायलय की निगरानी में जांच कराने की मांग की है।