अयोध्या विवाद: ‘क्या जन्म स्थान को कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है, जहां तक देवताओं का संबंध है तो उन्हें कानूनी व्यक्ति माना गया था’
By भाषा | Published: August 8, 2019 05:15 PM2019-08-08T17:15:13+5:302019-08-08T17:15:13+5:30
पीठ ने जानना चाहा, ‘‘क्या जन्म स्थान को कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है। जहां तक देवताओं का संबंध है तो उन्हें कानूनी व्यक्ति माना गया था।’’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में एक पक्षकार ‘राम लला विराजमान’ से जानना चाहा कि देवता के जन्मस्थान को इस मामले में दावेदार के रूप में कैसे कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या प्रकरण में तीसरे दिन की सुनवाई में कहा कि जहां तक हिन्दू देवताओं का संबंध है तो उन्हें कानून में कानूनी व्यक्ति माना गया है जो संपत्ति का स्वामी हो सकता है और मुकदमा भी कर सकता है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन से जानना चाहा कि इस मामले में एक पक्षकार के रूप में क्या ‘राम जन्मस्थान’ कोई वाद दायर कर सकता है।
पीठ ने जानना चाहा, ‘‘क्या जन्म स्थान को कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है। जहां तक देवताओं का संबंध है तो उन्हें कानूनी व्यक्ति माना गया था।’’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
पीठ के इस सवाल के जवाब में परासरन ने कहा, ‘‘हिन्दू धर्म में किसी स्थान को उपासना के लिये पवित्र स्थल मानने के लिये वहां मूर्तियों का होना जरूरी नहीं है। हिन्दूवाद में तो नदी और सूर्य की भी पूजा होती है और जन्म स्थान को भी कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है।’’
अयोध्या मामले में देवता की ओर से दायर वाद में भगवान राम के जन्म स्थान को भी एक पक्षकार बनाया गया है। इस पर पीठ ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक फैसले का जिक्र किया जिसमे पवित्र गंगा नदी को एक कानूनी व्यक्ति माना गया है जो मुकदमे को आगे बढ़ाने की हकदार है।
Ayodhya land dispute:SC to K Parasaran,lawyer for Ram Lalla Virajman 'Can Jamnasthan be a juridical person? Idol can be a juristical person but can a place or Janmasthan be one?' Lawyer K Parasaran says 'Presence of an idol isn't the only test for determination of a legal person' pic.twitter.com/XeoNP8XImc
— ANI (@ANI) August 8, 2019
इसके बाद पीठ ने परासरन से कहा कि दूसरे बिन्दुओं पर अपनी बहस आगे बढ़ायें। परासरन ने आरोप लगाया कि ‘राम लला विराजमान’ की मूर्ति को उस समय पक्षकार नहीं बनाया गया जब मजिस्ट्रेट ने विवादित स्थल को कुर्क किया और जब दीवानी अदालत ने इस मामले में रिसीवर नियुक्त करके निषेधात्मक आदेश दिया था।
जन्म स्थान के महत्व को इंगित करते हुये परासरन ने संस्कृत के श्लोक ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी’ का वाचन किया और कहा कि जन्म स्थान स्वर्ग से भी महान है। इससे पहले, एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि ‘राम लला विराजमान’ और ‘निर्मोही अखाड़ा’ द्वारा दायर दो अलग-अलग वाद एक दूसरे के खिलाफ हैं और यदि एक जीतता है तो दूसरा स्वत: ही खत्म हो जाता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि मुस्लिम पक्ष को किसी भी एक वाद में बहस शुरू करने की अनुमति दी जा सकती है क्योंकि कानूनी रूप से सिर्फ इसकी ही अनुमति दी जा सकती है। संविधान पीठ अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर छह अगस्त से नियमित सुनवाई कर रही है।