अयोध्या विवाद: 18 अक्टूबर तक बहस पूरी होने की उम्मीद, दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में समय सीमा बताई

By रामदीप मिश्रा | Published: September 18, 2019 11:08 AM2019-09-18T11:08:38+5:302019-09-18T11:20:22+5:30

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को लेकर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का कहना है कि 18 अक्टूबर तक बहस पूरी होने सकती है। इस मामले की प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।

Ayodhya land dispute case: we can say that submissions have to be likely completed by October 18 says CJI Ranjan Gogoi | अयोध्या विवाद: 18 अक्टूबर तक बहस पूरी होने की उम्मीद, दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में समय सीमा बताई

अयोध्या विवाद: 18 अक्टूबर तक बहस पूरी होने की उम्मीद, दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में समय सीमा बताई

Highlightsराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को लेकर डे-टू-डे हो रही सुनवाई के दौरान बुधवार (18 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि एक महीने में इस मामले की पूरी हो जाएगी।इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मंगलवार को मुस्लिम पक्षों से अब ध्वस्त किए जा चुके विवादित ढांचे पर शेरों, पक्षियों और फूलों के चित्र होने के बारे में सवाल पूछे थे।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को लेकर डे-टू-डे हो रही सुनवाई के दौरान बुधवार (18 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि एक महीने में इस मामले की पूरी हो जाएगी। बता दें कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल हैं।   

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को लेकर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा है कि मामले में सुनवाई समाप्त करने के लिए अस्थायी तारीखों के अनुमान हम कह सकते हैं कि 18 अक्टूबर तक बहस पूरी होने की संभावना है।

सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह भी कहा कि एक साथ मध्यस्थता प्रक्रिया सुनवाई के साथ जा सकती है और यदि इसके माध्यम से एक सौहार्दपूर्ण समझौता हो जाता है, तो सु्प्रीम कोर्ट के समक्ष लाया जा सकता है।


इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मंगलवार को मुस्लिम पक्षों से अब ध्वस्त किए जा चुके विवादित ढांचे पर शेरों, पक्षियों और फूलों के चित्र होने के बारे में सवाल पूछे थे। इसने पूछा कि क्या मस्जिदों में इस तरह के चित्र पाए जाते हैं। मुस्लिम पक्षों ने कहा था कि किसी मस्जिद में भगवान की कोई तस्वीर नहीं पाई जाती, लेकिन क्योंकि कुछ फूल और तस्वीरें पाई गई हैं, महज इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि स्थल ‘‘कुरान के अनुरूप नहीं’’ है और इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है।

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा था कि ‘सिंह द्वार’ पर शेरों और एक पक्षी के चित्र तथा ‘‘कसौटी स्तम्भों’’ पर फूलों की कुछ तस्वीरें पाए जाने से हिन्दू पक्ष को यह साबित करने में मदद नहीं मिलती कि वहां मस्जिद की जगह मंदिर था।

पीठ ने कहा था कि यह (दो शेरों और एक पक्षी की 1950 में ली गई तस्वीर) ‘सिंह द्वार’ पर है। इसमें दो शेर और एक ‘गरुड़’ है।’’ इसने यह भी कहा कि वह बेहतर तस्वीर देखना चाहती है। पीठ ने कहा, ‘‘किसी मस्जिद में फूलों, जानवरों की तस्वीरें नहीं हो सकतीं...श्री धवन क्या आप एक संक्षिप्त नोट बना सकते हैं और हमें मस्जिदों की तस्वीरें दे सकते हैं।

सुन्नी वक्फ बोर्ड और वास्तविक वादी एम सिद्दीक सहित अन्य की ओर से आठवें दिन दलील दे रहे राजीव धवन ने पीठ से कहा था कि हिन्दू पक्षों के इन तस्वीरों पर विश्वास से ‘‘कुछ भी साबित नहीं होता।’’

Web Title: Ayodhya land dispute case: we can say that submissions have to be likely completed by October 18 says CJI Ranjan Gogoi

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