अयोध्या विवाद: SC में सुनवाई से अलग होने वाले न्यायाधीश कल्याण सिंह की तरफ से हुए थे पेश
By भाषा | Published: January 10, 2019 10:36 PM2019-01-10T22:36:45+5:302019-01-10T22:36:45+5:30
विवादित ढांचे को छह दिसंबर 1992 को ढहा दिया गया था। घटना के एक दिन पहले मुख्यमंत्री के नाते सिंह ने वादा किया था कि विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखी जाएगी।
राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ से खुद को अलग कर लेने वाले न्यायमूर्ति यू यू ललित विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद अवमानना कार्यवाही का सामना करने वाले उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की तरफ से पेश हुए थे।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई के लिए बैठी तो एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने पीठ का ध्यान शीर्ष अदालत के 20 नवंबर 1997 के आदेश की ओर दिलाते हुए न्यायमूर्ति ललित के नाम का उल्लेख किया, जो उस वक्त वकील के तौर पर कल्याण सिंह की ओर से पेश हुए थे।
तत्कालीन न्यायमूर्ति जी एन रे और न्यायूर्ति एस पी भरूचा की पीठ के समक्ष सिंह के खिलाफ अवमानना मामले की याचिका आयी थी।विवादित ढांचे को छह दिसंबर 1992 को ढहा दिया गया था। घटना के एक दिन पहले मुख्यमंत्री के नाते सिंह ने वादा किया था कि विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखी जाएगी।
धवन ने कहा कि सिंह, उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में, अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाये रखने का आश्वासन पूरा करने में विफल हो गये थे। वर्तमान में कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल हैं। विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद सिंह को एक दिन की जेल और 2,000 रूपये के अर्थदंड की प्रतीकात्मक सजा दी गयी थी।