अयोध्या वासियों की मांग- विवादित स्थल को बना दिया जाए खेल का मैदान, राम मंदिर निर्माण से बढ़ेगा दो समुदाय में हिंसा
By भाषा | Published: November 8, 2018 05:57 PM2018-11-08T17:57:26+5:302018-11-08T17:58:18+5:30
सांप्रदायिकता के साये में रहते हुए थक चुके अयोध्या वासी, चाहे वह विजय सिंह हो या फिर मोहम्मद आजिम, नहीं चाहते हैं कि इस पर और भी राजनीति हो, जिससे सौहार्दपूर्ण माहौल बिगड़े।
अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शीघ्र कराए जाने की मांग बढ़ने के बीच यहां के कई बाशिंदों का कहना है कि विवादित स्थल को नेताओं के लिए अखाड़ा नहीं, बल्कि बच्चों के लिए खेल के मैदान में तब्दील करना चाहिए।
सांप्रदायिकता के साये में रहते हुए थक चुके अयोध्या वासी, चाहे वह विजय सिंह हो या फिर मोहम्मद आजिम, नहीं चाहते हैं कि इस पर और भी राजनीति हो, जिससे सौहार्दपूर्ण माहौल बिगड़े। राम जन्म भूमि के पास रहने वाले पेशे से डॉक्टर विजय सिंह (48) ने कहा कि यदि मंदिर बनाए जाने से वहां दो समुदायों के बीच सौहार्द कम होता है, तो वह इसके पक्ष में नहीं हैं।
अयोध्या वासियों का कहना- शांति चाहिए हमें
सिंह ने बताया कि छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढहाए जाने के दिन वह अयोध्या में ही थे। उन्होंने कहा कि अयोध्या के लोग सदियों से शांतिपूर्ण ढंग से और सांप्रदायिक सद्भाव के साथ रहे हैं लेकिन नेताओं ने अपना मकसद पूरा करने के लिए सांप्रदायिक आग लगा दी। 1992 में मस्जिद का ढांचा गिराने के लिए कई लोग बाहर से आए थे। यह बहुत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जो आज तक अयोग्ध्या को प्रभावित कर रही है।
राम मंदिर से अगर दो समुदायों के बीच वैमनस्य आता है तो ना हो निर्माण
शहर के कई लोगों की तरह ही सिंह भी भगवान राम के भक्त हैं और पास के सुग्रीव किले में उनके क्लीनिक के दरवाजे पर ‘‘जय श्री राम ‘‘ लिखा हुआ है। राम जन्मभूमि जाने के रास्ते में वह और उनकी पत्नी श्रद्धालुओं की मेडिकल मदद के लिए एक अस्थायी शिविर चलाते हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘यदि राम मंदिर के निर्माण से दो समुदायों के बीच वैमनस्य आता है तो वह इसके पक्ष में नहीं हैं। इसके बजाय मुझे लगता है कि विवादित स्थल को खेल के मैदान में तब्दील कर देना चाहिए जहां सभी धर्म के बच्चे साथ खेल सकें।’’
अयोध्या वासियों का कहना है- क्यों किया जा रहा है ऐेसे मुद्दे को पुनर्जीवित
देश के कई हिस्सों में और विदेश में सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम करने वाले अयोध्या वासी विवेक त्रिपाठी ने दीपोत्सव के लिए अपने परिवार के साथ अयोध्या में थे। उन्होंने 1992 के भयावह दिनों को याद किया जब वह एक स्कूली बच्चे थे।
त्रिपाठी ने कहा कि इस घटना के व्यापक असर को उन्होंने तब जा कर समझा जब बड़े होने पर उन्होंने इस मामले के बारे में पढ़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐेसे मुद्दे को पुनर्जीवित करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं जो कुछ अप्रिय स्थिति पैदा करती हो।सांप्रदायिक सौहार्द जरूरी है और हम वहां कुछ भी बनाया जाना नहीं चाहते। हम सिर्फ बच्चों के लिए खेल का मैदान चाहते हैं, न कि यह राजनीति के लिए अखाड़ा ।’’
शहर के 46 वर्षीय बाशिंदे मोहम्मद आजम ने कहा कि यहां हिंदू और मुसलमान हमेशा से शांति से रहते आए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नेता और बाहरी तत्व राजनीतिक फायदे के लिए दोनों समुदायों के बीच एक दरार पैदा करना चाहते हैं।
राम जन्म भूमि के पास एक पेड़ के नीचे अपनी दुकान चलाने वाले एवं पेशे से ज्योतिषी 45 वर्षीय राम लोचन ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि मंदिर बने लेकिन बच्चों के लिए खेल का मैदान भी बढ़िया रहेगा। आखिरकार, राम लला भगवान राम के बाल अवतार ही तो हैं।’’
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिवाली पर करीब 20000 लोग रामजन्म भूमि पहुंचे।
उच्चतम न्ययालय ने हाल ही में राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले के लिए अगले साल जनवरी प्रथम हफ्ते का समय तय किया है।