अयोध्या: CM योगी आदित्यनाथ ने रामलला को टेंट से हटाकर अस्थाई मंदिर में किया शिफ्ट, राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण आज हुआ सम्पन्न
By रामदीप मिश्रा | Published: March 25, 2020 07:55 AM2020-03-25T07:55:43+5:302020-03-25T07:55:43+5:30
अयोध्या: कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए अयोध्या के साधु संतों को पूजा में आमंत्रित नहीं किया गया। जयपुर के कारीगरों द्वारा बनाए गए साढ़े नौ किलो के चांदी के सिंहासन पर देव प्रतिमाएं स्थापित की गईं।
अयोध्या में विशेष पूजा अर्चना के साथ नवरात्रि के पहले दिन सुबह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला को अपने हाथों से टेंट से उठाकर मंदिर में स्थापित किया है। राम मंदिर निर्माण के पूरा होने तक, राम जन्मभूमि परिसर में मानस भवन के पास एक अस्थायी ढांचे में रामलला की मूर्ति को स्थानांतरित किया गया।
इस बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'अयोध्या करती है आह्वान...भव्य राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण आज सम्पन्न हुआ, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम त्रिपाल से नए आसन पर विराजमान... मानस भवन के पास एक अस्थायी ढांचे में 'रामलला' की मूर्ति को स्थानांतरित किया। भव्य मंदिर के निर्माण हेतु 11 लाख रुपये का चेक भेंट किया।'
अयोध्या करती है आह्वान...
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 25, 2020
भव्य राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण आज सम्पन्न हुआ, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम त्रिपाल से नए आसन पर विराजमान...
मानस भवन के पास एक अस्थायी ढांचे में 'रामलला' की मूर्ति को स्थानांतरित किया।
भव्य मंदिर के निर्माण हेतु ₹11 लाख का चेक भेंट किया। pic.twitter.com/PWiAX8BQRR
बता दें, 23 मार्च को देव प्रतिमाओं को एक अस्थायी संरचना में स्थानांतरित करने के साथ ही राम मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ हुआ था। मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने तक प्रतिमाएं अस्थायी संरचना में रहेंगी। कोरोना वायरस के खतरे के चलते प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बीच मंदिर निर्माण कार्य की शुरुआत हुई। विशेष पूजा मंगलवार को भी जारी तक रही।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्यों विमलेंद्र मिश्रा और डॉ अनिल मिश्रा की उपस्थिति में विशेष पूजा अर्चना की गई। राम मंदिर न्यास के सचिव चंपत राय ने कहा था कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए अयोध्या के साधु संतों को पूजा में आमंत्रित नहीं किया गया। जयपुर के कारीगरों द्वारा बनाए गए साढ़े नौ किलो के चांदी के सिंहासन पर देव प्रतिमाएं स्थापित की गईं।