अयोध्या विवाद: मामले में जल्द सुनवाई की मांग, सुप्रीम कोर्ट आज करेगा विचार

By भाषा | Published: July 11, 2019 08:54 AM2019-07-11T08:54:34+5:302019-07-11T08:57:20+5:30

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में विवादित स्थल की 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारो--सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला --के बीच बराबर बराबर बांट दी जाये। उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कुल 14 अपील दायर की गयी हैं। 

Ayodhya case seeks early hearings, Supreme court hearing today over Ramjanm bhoomi | अयोध्या विवाद: मामले में जल्द सुनवाई की मांग, सुप्रीम कोर्ट आज करेगा विचार

सुप्रीम कोर्ट आज अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की जल्द सुनवाई की मांग पर विचार करेगा

Highlightsअयोध्या मामले की जल्द सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट आज विचार करेगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अअयोध्या में विवादित स्थल की भूमि तीन पक्षकारो के बीच बराबर-बराबर बांट दिए जाने का आदेश दिया था

अयोध्या मामले की जल्द सुनवाई की मांग पर उच्चतम न्यायालय गुरुवार को सुनवाई करेगा। बता दें कि उच्चतम न्यायालय अयोध्या में राम जन्म- भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में एक मूल वादकार के उस आवेदन पर विचार के लिये मंगलवार को तैयार हो गया जिसमे उसने इस मामले की शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया गया। वादकार गोपाल सिंह विशारद का कहना है कि उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने के लिये आठ मार्च को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी लेकिन इसमें बहुत कुछ नहीं हो रहा है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय खंडपीठ से विशारद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा ने इस मामले का उल्लेख करते हुये कहा कि मालिकाना हक के इस विवाद को शीघ्र सुनवाई के लिये न्यायालय में सूचीबद्ध किये जाने की आवश्यकता है। नरसिम्हा ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति को न्यायालय द्वारा सौंपे गये भूमि विवाद के इस मामले में अधिक कुछ नहीं हो रहा है ।

पीठ ने कहा, ‘‘हम देखेंगे।’’ पीठ ने नरसिम्हा से जानना चाहा कि क्या आपने शीघ्र सुनवाई के लिये आवेदन किया है जिसका उन्होने सकारात्मक जवाब दिया। यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मध्यस्थता के लिये बनाई गयी इस समिति का कार्यकाल 10 मई को 15 अगस्त तक के लिये बढ़ा दिया था ताकि वह अपनी कार्यवाही पूरी कर सके।

पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि यदि मध्यस्थता करने वाले परिणामों के बारे में आशान्वित हैं और 15 अगस्त तक का समय चाहते हैं तो समय देने में क्या नुकसान है? यह मुद्दा सालों से लंबित है। इसके लिये हमें समय क्यों नहीं देना चाहिए? मध्यस्थता के लिये गठित समिति में न्यायमूर्ति कलीफुल्ला के अलावा अध्यात्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर तथा जाने माने मध्यस्थता विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू को इसका सदस्य बनाया गया था।

शीर्ष अदालत ने आठ मार्च के आदेश में मध्यस्थता के लिये बनी इस समिति को आठ सप्ताह के भीतर अपना काम पूरा करने के लिये कहा था। इस समिति को अयोध्या से करीब सात किलोमीटर दूर फैजाबाद में अपना काम करना था। इसके लिये राज्य सरकार को पर्याप्त बंदोबस्त करने के निर्देश दिये गये थे।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में विवादित स्थल की 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारो--सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बराबर बांट दी जाये। उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कुल 14 अपील दायर की गयी हैं। 

Web Title: Ayodhya case seeks early hearings, Supreme court hearing today over Ramjanm bhoomi

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