विधानसभा चुनाव 2025ः कुल सीट 243, कांग्रेस को 70 और भाकपा-माले को चाहिए 45 सीट? लालू और तेजस्वी यादव के सामने एक और चुनौती
By एस पी सिन्हा | Updated: June 10, 2025 16:35 IST2025-06-10T16:34:00+5:302025-06-10T16:35:14+5:30
Assembly Elections 2025:11 से 14 जून तक बिहार के बाराचट्टी, वारसलीगंज, राजगीर और बिहारशरीफ में सभाएं आयोजित करेगी।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जारी सियासत के बीच महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का मामला गर्माता जा रहा है। 12 जून को पटना में होने वाली महागठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक से पहले भाकपा-माले ने लालू यादव और तेजस्वी यादव की टेंशन बढ़ा दी है। सीट शेयरिंग से पहले महागठबंधन में शामिल भाकपा-माले ने बिहार की 45 सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है।
भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बताया कि उनकी पार्टी 11 से 14 जून तक बिहार के बाराचट्टी, वारसलीगंज, राजगीर और बिहारशरीफ में सभाएं आयोजित करेगी। इसके साथ ही 12 से 27 जून तक बदलो सरकार, बदलो बिहार के नाम से चार यात्राएं निकाली जाएंगी। बिहार के चार प्रमंडलों शाहाबाद, मगध, चंपारण और तिरहुत में ये यात्राएं होंगी।
उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी उनकी पार्टी कर रही है। बिहार की 40 से 45 सीटों पर भाकपा माले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि 12 जून को होने वाली को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में बिहार चुनाव के मुद्दों पर चर्चा होगी और भाकपा-माले अपनी बातों को कमेटी के समक्ष मजबूती के साथ रखेगी।
राहुल गांधी के बिहार दौरे के बाद एक बार फिर से महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर घमासान शुरू हो गया है। बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने एक बार फिर से कहा है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है, बल्कि उन्हें सिर्फ को-ऑर्डिनेशन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है।
वहीं, कृष्णा अल्लावरू के बयान पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए तेजस्वी ने कहा कि किसी को इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है और ना ही किसी को चिंता करने की कोई जरूरत है। तेजस्वी ने कहा कि हम सब लोग पूरी तरीके से नया बिहार बनाएंगे और बिहार को बनाने की कवायद चल रही है।
वहीं राहुल गांधी के चुनाव फिक्स वाले बयान पर तेजस्वी ने कहा कि उन्होंने बिल्कुल सही आशंका जताई है। जिस तरीके से चुनाव आयोग की कार्यशैली रही है, उससे तो यही आशंका जताई जा सकती है। चुनाव आयोग ने पिछले विधानसभा चुनाव में क्या किया?
दिन में उन्होंने काउंटिंग को रुकवा दिया और रात के अंधेरे में काउंटिंग को शुरू किया और तीन-तीन बार प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी सफाई दी। चुनाव आयोग भाजपा की सरकार की प्रकोष्ठ की तरह काम कर रही है, तो सवाल उठाने जायज हैं।