असम: तालिबान का समर्थन करने पर यूएपीए के तहत गिरफ्तार 14 को जमानत, कोर्ट ने कहा- जेल में रखने का पर्याप्त आधार नहीं

By विशाल कुमार | Published: October 12, 2021 08:04 AM2021-10-12T08:04:44+5:302021-10-12T08:10:51+5:30

अगस्त महीने में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे का समर्थन करने को लेकर कथित तौर पर सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले 16 लोगों को गैयूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था जिसके कारण उन्हें जमानत मिलना मुश्किल हो गया था लेकिन 14 को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि उन्हें जेल में रखने का पर्याप्त आधार नहीं है.

assam uapa-arrests-over-taliban-posts-courts-give-bail-say-not-enough-to-hold-them | असम: तालिबान का समर्थन करने पर यूएपीए के तहत गिरफ्तार 14 को जमानत, कोर्ट ने कहा- जेल में रखने का पर्याप्त आधार नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Highlights16 में 15 में को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था/अदालत ने कहा कि उन्हें जेल में रखने का पर्याप्त आधार नहीं है.अदालत के आदेशों के बारे में पूछे जाने पर पुलिस ने कहा कि जमानत देना न्यायपालिका का विशेषाधिकार है.

गुवाहाटी: अगस्त महीने में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे का समर्थन करने को लेकर कथित तौर पर सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले 16 में से कम से कम 14 लोगों को स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी है.

16 में 15 में को गैरकानूनी गतिविधियां निवारक अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था जिसके कारण उन्हें जमानत मिलना मुश्किल हो गया था लेकिन अदालत ने कहा कि उन्हें जेल में रखने का पर्याप्त आधार नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, असम के स्पेशल डीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) जीपी सिंह ने 21 अगस्त को पहले 14 गिरफ्तारी की घोषणा की थी, जबकि अगले दिन दो और गिरफ्तार किए गए थे.

जमानत पाने वालों में एआईयूडीएफ के पूर्व महासचिव और जमीयत के 49 वर्षीय राज्य सचिव मौलाना फजलुल करीम कासिमी हैं, जो दरांग जिले के सिपाझार के रहने वाले हैं.

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पुलिस को बिना किसी डर और पक्षपात के काम करने का निर्देश दिया था. अदालत के आदेशों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि जमानत देना न्यायपालिका का विशेषाधिकार है.

बता दें कि, बीते 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के साथ तालिबान का अफगानिस्तान पर पूरा नियंत्रण हो गया और उसने वहां अपनी सरकार बना ली है. भारत सरकार ने अभी तक तालिबान को लेकर अपना रूख साफ नहीं किया है.

इस मामले को करीब से जानने वाले गुवाहाटी हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हाफिज राशिद चौधरी ने कहा कि अधिकांश पोस्ट अनजाने में किए गए लग रहे थे और यूएपीए जैसी कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं थी. अदालत ने इसे समझा और इसलिए कई को जमानत मिल गई.

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