केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को दी धमकी, कहा- बिहार में नहीं घुसने देंगे
By एस पी सिन्हा | Published: December 19, 2018 08:41 PM2018-12-19T20:41:38+5:302018-12-19T20:42:19+5:30
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि पूरे भारत का विकास बिहार और यूपी के बिना अधूरा है। कमलनाथ खुद सिख दंगे के अपराधी हैं। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए चौबे ने कहा कि कांग्रेस ने ’कमलनाथ’ नहीं ’नागनाथ’ पाला है और मध्य प्रदेश की सरकार बनाई है।
मध्यप्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ के बिहार-यूपी में रहने वाले लोगों को लेकर दिए गए बयान पर सियासत तेज हो गई है। इस कड़ी में भाजपा नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे भी कूद पड़े हैं। चौबे ने आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ पर हमला बोलते हुए कहा कि हम उनको बिहार में घुसने नहीं देंगे।
चौबे ने पटना में कमलनाथ को चुनौती देते हुए कहा कि हम चुनौती देते हैं कि वो बिहार आकर दिखाएं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूरे भारत का विकास बिहार और यूपी के बिना अधूरा है। कमलनाथ खुद सिख दंगे के अपराधी हैं। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए चौबे ने कहा कि कांग्रेस ने ’कमलनाथ’ नहीं ’नागनाथ’ पाला है और मध्य प्रदेश की सरकार बनाई है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ ने एकता और अखंडता को चोट पहुंचाई है और मैं उनकी बर्खास्तगी की मांग करता हूं।
वहीं, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने इसको लेकर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि कमलनाथ खुद यूपी के कानपुर में जन्में हैं। सुशील मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'कमलनाथ भूल गए कि वे खुद कानपुर में जन्मे हैं।।।' इसके अलावा उन्होंने अपने एक ट्वीट में तेजस्वी यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर निशाना साधते हुए लिखा कि मध्य प्रदेश में भाजपा के लंबे शासनकाल में बिहार के लोगों के साथ कभी बदसलूकी नहीं हुई, लेकिन कांग्रेस ने सत्ता में आते ही रोजगार के मुद्दे पर फूट का बीज डाल कर भविष्य के लिए खतरे पैदा कर दिया है।
शपथ ग्रहण समारोह में शामिल बिहार के राजद नेता तेजस्वी यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कमलनाथ के बयान पर चुप्पी क्यों साध ली? बता दें कि कमलनाथ ने कहा था कि मध्य प्रदेश के लोग बेरोजगार रह जाते हैं, जबकि यूपी-बिहार के लोग नौकरियां ले जाते हैं। मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालते ही कमलनाथ ने निवेश को प्रोत्साहन देने वाली योजना की घोषणा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने शर्त रखी कि वे निवेशकर्ता कंपनी को इन्सेटिव (प्रोत्साहन) तभी देंगे, जब कंपनी मध्य प्रदेश के 70 प्रतिशत कर्मचारियों को रोजगार दे।