अशोक गहलोत ने ज्ञानवापी विवाद को 'देश के लोकतंत्र के लिए खतरा' करार दिया, कहा- 'केंद्र की धार्मिक राजनीति को समझे देश की जनता'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 20, 2022 03:28 PM2022-05-20T15:28:13+5:302022-05-20T15:35:02+5:30

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के लिए भाजपानीत केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा देश में धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले दल लोकतंत्र के लिए भयानक खतरा पैदा कर रहे हैं।

Ashok Gehlot termed the Gyanvapi controversy as a threat to the country's democracy, said- 'People of the country should understand the religious politics of the center' | अशोक गहलोत ने ज्ञानवापी विवाद को 'देश के लोकतंत्र के लिए खतरा' करार दिया, कहा- 'केंद्र की धार्मिक राजनीति को समझे देश की जनता'

फाइल फोटो

Highlightsअशोक गहलोत ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को देश के लिए खतरा करार दिया हैदेश में धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले दल लोकतंत्र के लिए भयानक खतरा पैदा कर रहे हैंआम लोगों को समझना पड़ेगा कि धर्म के नाम पर उन्हें गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है

जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को देश के लिए खतरा करार दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की टिप्पणी उस वक्त आयी है जब गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया।

इस विवाद के लिए परोक्ष तौर पर भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा देश में धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले दल लोकतंत्र के लिए भयानक खतरा पैदा कर रहे हैं।

जयपुर में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को कहा, ''यह गंभीर विषय है, सभी को सोचना चाहिए कि आखिर ये देश किस ओर जा रहा है? धर्म के नाम पर राजनीति कर रही केंद्र सरकार इस देश के लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर रही है।''

इसके साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा, "आम लोगों को भी यह बात बेहद गंभीरता से समझनी पड़ेगी कि मौजूदा समय में धर्म के नाम पर उन्हें गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है और यह कहीं से भी जनता के हित में नहीं है।"

मालूम हो कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ज्ञानवापी मसले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया है। सुनवाई को टालते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने वाराणसी की कोर्ट को भी आदेश दिया कि वो इससे संबंधित सभी कार्यवाही को लंबित रखें और इस मामले में किसी तरह का आदेश न पारित करें।

इससे पहले वाराणसी कोर्ट द्वारा बनाई गई कोर्ट कमीशन ने ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियो सर्वे किया था। जिसके बाद हिंदू पक्ष ने दावना किया कि सर्वे के दौरान कमीशन को मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिला है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये वही विश्वनाथ मंदिर का शिवलिंग है, जिसे औरंगजेब द्वारा नष्ट कर दिया गया है।

वहीं ज्ञानवापी मस्जिद की ओर से दावा किया जा रहा है कि हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग बता रहा है, दरअसल वो एक फव्वारा है, जो लगभग सभी मस्जिदों के वजूखाने में लगे होते हैं।

इसके जवाब में हिंदू पक्ष का तर्क है कि मुस्लिम पक्ष से साबित करे कि जिस शिवलिंग को वो फव्वारा बता रहे हैं वो औरंगजेब के काल है और साथ ही ये भी बताएं कि उसे किस मैकेनिंजम के जरिये चलाया जाता था।

फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है और मुस्लिम पक्ष ने इस मामले में 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' के तहत अपील दायर की है। वहीं हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज किये जाने को लेकर एक पिटीशन दायर की हुई है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

Web Title: Ashok Gehlot termed the Gyanvapi controversy as a threat to the country's democracy, said- 'People of the country should understand the religious politics of the center'

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