असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में बहस के दौरान फाड़ी नागरिकता संशोधन बिल की कॉपी, कहा, 'हिटलर के कानून से भी बदतर'
By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 10, 2019 07:43 AM2019-12-10T07:43:49+5:302019-12-10T07:43:49+5:30
Asaduddin Owaisi: नागरिकता संशोधन बिल को हिटलर के कानून से भी बदतर बताते हुए ओवैसी ने फाड़ी नागरिकता संशोधन बिल की कॉपी
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा में सोमवार को तीखी बहस के दौरान इस बिल को 'हिटलर के कानून' से भी खराब बताते हुए विधेयक की एक प्रति फाड़ दी। इस बिल को फाड़ने से पहले ओवैसी ने कहा, ये देश को बांटने की एक कोशिश है। प्रस्तावित कानून हमारे देश के संविधान के खिलाफ है।
लोकसभा में इस बिल पर बहस के दौरान एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा कि गांधी को 'महात्मा' का खिताब तब मिला जब उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भेदभावपूर्ण नागरिकता कार्ड फाड़ा था, और इसलिए कोई वजह नहीं है कि वह नागरिकता संशोधन बिल को न फाड़ें।
ओवैसी ने सीएबी को हिटलर के कानून से भी बदतर करार दिया
ओवैसी ने कहा, 'ये बिल संविधान के खिलाफ है...ये (एडोल्फ) हिलटर के कानून से भी बदतर है और मुस्लिमों को राज्यविहीन बनाने का एक षड्यंत्र है।' उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा बिल पास होने से केवल 1947 के विभाजन को दोहराएगा।
ओवैसी ने भाजपा की अगुवाई वाली सरकार पर मुसलमानों को हाशिए पर रखने की कोशिश करके देश की स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने का भी आरोप लगाया और इस बात पर आश्चर्य जताया कि इसके बजाय क्यों वह विदेशी कब्जे वाले देश के हिस्सों को फिर से लेने के अपने प्रयासों पर ध्यान क्यों नहीं दे रही है।
अरुणाचल प्रदेश में पड़ोसी देश के अतिक्रमण का संदर्भ देते हुए ओवैसी ने कहा, 'क्या आप चीन से डरे हुए हैं?'
वहीं सत्तारूढ़ दल ने ओवैसी के कृत्य को संसद का अपमान बताया।
नागरिकता संसोधन बिल सोमवार देर रात लोकसभा में पास हो गया, इसके मत में कुल 311 और विपक्ष में 88 वोट पड़े। इस बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए छह धर्मों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई) के लोगों का भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।