सीएए पर सामने आई असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया, कहा- सरकार को इस कानून को धर्म तटस्थ बनाना चाहिए
By मनाली रस्तोगी | Published: November 2, 2022 11:07 AM2022-11-02T11:07:21+5:302022-11-02T11:08:54+5:30
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह पहले से ही हो रहा है कि आप पहले लंबी अवधि का वीजा देते हैं और फिर उन्हें (अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय को) नागरिकता मिलती है।
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को कहा कि भाजपा शासित केंद्र को अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून बनाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने सीएए 2019 के संबंध में कई याचिकाओं की सुनवाई की अगली तारीख 6 दिसंबर तय की है। ओवैसी कई याचिकाकर्ताओं में से हैं, जिन्होंने कानून की वैधता को चुनौती दी है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह पहले से ही हो रहा है कि आप पहले लंबी अवधि का वीजा देते हैं और फिर उन्हें (अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय को) नागरिकता मिलती है। आपको (सरकार) इस कानून को धर्म-तटस्थ बनाना चाहिए। सीएए को एनपीआर और एनआरसी से जोड़ना होगा। सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है, देखते हैं क्या होता है।"
You (govt) should make this law religion-neutral. CAA has to be linked with NPR & NRC. Supreme Court is hearing this, let's see what happens: AIMIM chief on MHA Empowers two more Gujarat District Collectors to grant citizenship certificates for Minorities of Afghanistan (2/2)
— ANI (@ANI) November 1, 2022
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में एक अधिसूचना के बाद आया है जिसमें गुजरात के दो और जिला कलेक्टरों को नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 16 के तहत अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के छह अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता प्रमाण पत्र देने का अधिकार दिया गया था।
गुजरात में यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी के गठन पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी नाकामियों और गलत फैसलों को छिपाने के लिए चुनाव से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी बनाई है।" समान नागरिक संहिता पर एक पैनल बनाने के गुजरात सरकार के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी विफलताओं को छिपाने की कोशिश कर रही है।
BJP has formed Uniform Civil Code Committee before elections to hide its failures and wrong decisions: AIMIM chief Asaduddin Owaisi on Formation of Uniform Civil Code Committee in Gujarat (01.11) pic.twitter.com/OULtSLOazQ
— ANI (@ANI) November 1, 2022
गृह मंत्रालय ने पहले भी देश भर के विभिन्न क्षेत्रों के जिला कलेक्टरों को ऐसी शक्तियां सौंपी थीं। कथित तौर पर इसी तरह के आदेश 2016, 2018 और 2021 में गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में पारित किए गए थे, जिससे कलेक्टरों को उपरोक्त छह अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रमाण पत्र जारी करने की अनुमति मिली, जिन्होंने वैध पहचान दस्तावेजों के साथ भारत में प्रवेश किया था।
हालांकि, सीएए से संबंधित नई अधिसूचना के बावजूद मंगलवार को पश्चिम बंगाल में एक राजनीतिक विवाद छिड़ गया, जब कई भाजपा नेताओं ने दावा किया कि केंद्र ने कानून लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बंगाल विधानसभा में विपक्ष नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "गुजरात पहला राज्य है। इसे पश्चिम बंगाल में भी लागू किया जाएगा। यह हमारे मटुआ समुदाय की पुरानी मांग है। केंद्र ने पहले कहा था कि सीएए के लिए नियम बनाए जा रहे हैं।"