मोदी सरकार के पहले CEA रहे अरविंद सुब्रमणियन ने कहा-भारतीय अर्थव्यवस्था 'ICU' में

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 19, 2019 14:14 IST2019-12-19T14:14:52+5:302019-12-19T14:14:52+5:30

सुब्रमणियन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के भारत कार्यालय के पूर्व प्रमुख जोश फेलमैन के साथ लिखे गए नए शोध पत्र में सुब्रमणियन ने कहा है कि भारत इस समय बैंक, बुनियादी ढांचा, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और रियल एस्टेट- इन चार क्षेत्रों की कंपनियां के लेखा-जोखा के संकट का सामना कर रहा है। 

Arvind Subramanian, who was the first CEA of Modi government, said - Indian economy in 'ICU' | मोदी सरकार के पहले CEA रहे अरविंद सुब्रमणियन ने कहा-भारतीय अर्थव्यवस्था 'ICU' में

सुब्रमणियन नरेंद्र मोदी सरकार के पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) रहे हैं।

Highlightsसुब्रमणियन ने टिप्पणी की कि भारत ‘गहरी आर्थिक सुस्ती’ में है सुब्रमणियन ने दिसंबर, 2014 में दोहरे बही खाते की समस्या के प्रति आगाह किया था।

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमणियन ने टिप्पणी की कि भारत ‘गहरी आर्थिक सुस्ती’ में है और बैंकों तथा कंपनियों के लेखा-जोखा के जुड़वा-संकट की ‘दूसरी लहर’ के कारण अर्थव्यवस्था सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू)में जा रही है। 

सुब्रमणियन नरेंद्र मोदी सरकार के पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) रहे हैं। उन्होंने पिछले साल अगस्त में इस्तीफा दे दिया था। सुब्रमणियन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के भारत कार्यालय के पूर्व प्रमुख जोश फेलमैन के साथ लिखे गए नए शोध पत्र में सुब्रमणियन ने कहा है कि भारत इस समय बैंक, बुनियादी ढांचा, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और रियल एस्टेट- इन चार क्षेत्रों की कंपनियां के लेखा-जोखा के संकट का सामना कर रहा है। 

इसके अलावा भारत ब्याज दर और वृद्धि के प्रतिकूल चक्र में फंसी है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय विकास केंद्र के लिए तैयार तकनीकी परचे के मसौदे में सुब्रमणियन ने लिखा है, ‘‘निश्चित रूप से यह साधारण सुस्ती नहीं है। भारत में गहन सुस्ती है और अर्थव्यवस्था ऐसा लगता है कि आईसीयू में जा रही है।’’ 

सुब्रमणियन ने दिसंबर, 2014 में दोहरे बही खाते की समस्या के प्रति आगाह किया था। उस समय वह नरेंद्र मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे। उन्होंने उस समय कहा था कि निजी कंपनियों पर बढ़ता कर्ज बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बन रहा है। अपने नए शोध पत्र को सुब्रमणियन ने दो भागों टीबीएस और टीबीएस-दो में बांटा है। टीबीएस-1 इस्पात, बिजली और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियों को दिए गए बैंक कर्ज के बारे में है। यह कर्ज निवेश में जोरदार तेजी के दौरान 2004-11 के दौरान दिया गया, जो बाद में एनपीए बन गया। 

टीबीएस-दो नोटंबदी के बाद की स्थिति के बारे में है। इसमें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और रियल एस्टेट कंपनियों के बारे में है। सुब्रमणियन ने लिखा है, ‘‘वैश्विक वित्तीय संकट से भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार सुस्त पड़ी है। 

भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में योगदान देने वाले दो इंजन निवेश और निर्यात प्रभावित हुए हैं। आज एक और इंजन उपभोग या खपत भी बंद हो गया है। इस वजह से पिछली कुछ तिमाहियों से वृद्धि दर काफी नीचे आ गई है। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर छह साल के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है। यह लगातार छठी छमाही है जबकि वृद्धि दर में गिरावट आई।

Web Title: Arvind Subramanian, who was the first CEA of Modi government, said - Indian economy in 'ICU'

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