'अंग्रेजों से बदतर न बने सरकार', CM केजरीवाल ने विधानसभा में कृषि कानून की कॉपी फाड़ी, कहा- किसानों की वकालत करो, दलालों की नहीं
By स्वाति सिंह | Published: December 17, 2020 05:09 PM2020-12-17T17:09:53+5:302020-12-17T17:22:15+5:30
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सदन में केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों कई प्रतियां फाड़कर अपना विरोध जताया और दिल्ली विधानसभा ने सभी तीनों कानूनों को खारिज कर दिया।
नई दिल्ली: दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को दिल्ली विधानसभा सत्र में नए कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान केजरीवाल ने कृषि कानून की कॉपी फाड़ी दी। उन्होंने कहा कि सरकार और कितनी जान लगी? अब तक 20 से ज्यादा किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। एक-एक किसान भगत सिंह बनकर आंदोलन में बैठा है। अंग्रेजों से बदतर न बने सरकार।
दिल्ली सीएम ने कहा, 'योगी आदित्यनाथ ने बरेली में रैली की और तीनों बिलों के फायदे समझाने लगे कि तुम्हारी जमीन नहीं जाएगी, मंडी बंद नहीं होगी। भाजपा वाले बताएं इस कानून से फायदा क्या है? भाजपा वालों को एक लाइन रटवा दी गई है कि किसान देश में कहीं भी फसल बेच सकता है। हवा में बात करने से क्या होगा? किसानों को नहीं भाजपाइयों को भ्रमित किया गया है, भाजपाइयों को अफीम खिला दी गई है।'
What was the hurry to get Farm Laws passed in Parliament during pandemic? It has happened for 1st time that 3 laws were passed without voting in Rajya Sabha...I hereby tear 3 Farm laws in this assembly & appeal Centre not to become worst than Britishers: Delhi CM Arvind Kejriwal https://t.co/zvc2Dx1w3Epic.twitter.com/rUOACIQwp3
— ANI (@ANI) December 17, 2020
उधर, उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसानों को अहिंसक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है। साथ ही न्यायालय ने कहा कि वह इन विवादास्पद कृषि कानूनों के संबंध में कृषि विशेषज्ञों, किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों की एक निष्पक्ष तथा स्वतंत्र समिति गठित करने पर विचार कर रहा है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि इस समिति में पी साइनाथ जैसे विशेषज्ञों और सरकार तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जायेगा जो इन कानूनों को लेकर व्याप्त गतिरोध का हल खोजेंगे।
पीठ ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि किसानों को विरोध प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन यह अहिंसक होना चाहिए।’’ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि विरोध प्रदर्शन का मकसद तभी हासिल किया जा सकेगा जब किसान और सरकार बातचीत करें और ‘‘हम इसका अवसर प्रदान करना चाहते हैं।’’ इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने स्पष्ट किया , ‘‘हम कानून की वैधता पर आज फैसला नहीं करेंगे। हम सिर्फ विरोध प्रदर्शन और निर्बाध आवागमन के मुद्दे पर ही फैसला करेंगे।’’