अध्यादेश मुद्दे पर बोले केजरीवाल- कांग्रेस को तय करना है कि वह लोकतंत्र के साथ है या पीएम मोदी के साथ

By मनाली रस्तोगी | Published: June 2, 2023 04:47 PM2023-06-02T16:47:14+5:302023-06-02T16:48:33+5:30

दिल्ली में सेवा पर नियंत्रण से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को झारखंड के अपने समकक्ष हेमंत सोरेन से रांची में मुलाकात की।

Arvind Kejriwal comments on Centre's ordinance row says Congress has to decide if it is with democracy or PM Modi | अध्यादेश मुद्दे पर बोले केजरीवाल- कांग्रेस को तय करना है कि वह लोकतंत्र के साथ है या पीएम मोदी के साथ

(फोटो क्रेडिट- ANI)

Highlightsकेजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस को तय करना है कि वह लोकतंत्र के साथ है या पीएम मोदी के साथकेजरीवाल ने 23 मई को अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से समर्थन मांगने के लिए देशव्यापी दौरे की शुरुआत की थीअध्यादेश मुद्दे को लेकर केजरीवाल कई दिग्गज नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं

रांची: दिल्ली में सेवा पर नियंत्रण से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को झारखंड के अपने समकक्ष हेमंत सोरेन से रांची में मुलाकात की। केजरीवाल ने कांग्रेस पार्टी को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि पार्टी को तय करना है कि वह लोकतंत्र, संविधान और देश के 140 करोड़ लोगों के साथ है या पीएम मोदी के साथ।

केजरीवाल ने 23 मई को अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से समर्थन मांगने के लिए देशव्यापी दौरे की शुरुआत की थी। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अब तक पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव से मुलाकात कर चुके हैं।

केजरीवाल ने झारखंड के अपने समकक्ष हेमंत सोरेन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "पिछले महीने दिल्ली की जनता के साथ घोर अन्याय हुआ। उनका अपमान किया गया और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लिया गया। 11 मई को एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली के लोगों द्वारा चुनी गई सरकार के पास शक्तियां होंगी।" 

उन्होंने आगे कहा, "लेकिन दुर्भाग्य से 19 मई को सरकार ने अध्यादेश लाकर आदेश को दरकिनार कर दिया। मोदी सरकार ने कहा कि वे चुनी हुई सरकार को काम नहीं करने देंगे। अध्यादेश अब संसद में जाएगा। बीजेपी के पास लोकसभा में बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसके पास 238 सदस्यों में से केवल 93 सदस्य हैं। इसलिए अगर सभी गैर बीजेपी पार्टियां एक साथ आ जाएं तो इस बिल को हराया जा सकता है।"

उन्होंने आगे अध्यादेश को लोकतंत्र की नींव पर हमला बताया और सभी दलों से इसके खिलाफ एकजुट होने का आग्रह किया। अरविंद केजरीवाल ने कहा, "यह सिर्फ दिल्ली का नहीं, बल्कि पूरे देश का मामला है। वे (भाजपा) पंजाब, राजस्थान, झारखंड या तमिलनाडु के लिए इसी तरह का अध्यादेश ला सकते हैं। यह चुनी हुई सरकार की शक्तियों को हथियाने के लिए संविधान से छेड़छाड़ है और सभी को इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए।" 

उन्होंने आगे कहा, "हम पूरे देश में जा रहे हैं और हमें सभी पक्षों से अच्छा सहयोग मिला है। मैं अध्यादेश के खिलाफ समर्थन का आश्वासन देने के लिए हेमंत सोरेन को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं अन्य पार्टियों से भी इस अलोकतांत्रिक अध्यादेश के खिलाफ आने का आग्रह करूंगा। यह लोकतंत्र की नींव पर हमला है। जिस तरह से चुनी हुई सरकारें गिराई जाती हैं और अध्यादेश लाए जाते हैं, हम सबको साथ आना होगा।"

अध्यादेश पर कांग्रेस के रुख के बारे में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में केजरीवाल ने कहा, "आज कांग्रेस को तय करना है कि वह लोकतंत्र के साथ है, संविधान के साथ है, देश की 140 करोड़ जनता के साथ है या मोदी जी के साथ है।" झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने आप को समर्थन का भरोसा देते हुए केंद्र पर जमकर निशाना साधा और इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया।

Web Title: Arvind Kejriwal comments on Centre's ordinance row says Congress has to decide if it is with democracy or PM Modi

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