Article 370: मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 30 सालों में 57168 लोगों ने गंवाई जान, पांच अगस्त के बाद नहीं चली एक भी गोली

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 16, 2019 02:00 PM2019-09-16T14:00:58+5:302019-09-16T14:00:58+5:30

मोदी सरकार ने दावा किया कि आर्टिकल 370 के प्रावधानों में संशोधन के बाद जम्मू-कश्मीर में एक भी गोली नहीं चली है।

Article 370: Modi government said in Supreme Court, 57168 people lost their lives in 30 years, not a single bullet fired after August 5 | Article 370: मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 30 सालों में 57168 लोगों ने गंवाई जान, पांच अगस्त के बाद नहीं चली एक भी गोली

सुप्रीम कोर्ट ने गुलाम नबी आजाद को जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत दी है.

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए सामान्य स्थिति चयनात्मक आधार पर बहाल करें। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय से मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 पर सुनवाई के दौरान मोदी सरकार ने बताया है कि पिछले तीस सालों में जम्मू-कश्मीर में 57168 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।

सरकार ने कोर्ट को बताया, 1990 से लेकर 5 अगस्त 2019 तक यहां 41,866 लोग जान गवां चुके है, 71,038 हिंसा की घटनाएं हुई है। इसके अलावा 15,292 सुरक्षा बलों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी।

मोदी सरकार ने दावा किया कि आर्टिकल 370 के प्रावधानों में संशोधन के बाद जम्मू-कश्मीर में एक भी गोली नहीं चली है।

राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करें : SC

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए सामान्य स्थिति चयनात्मक आधार पर बहाल करें। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ,न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की एक पीठ ने अधिकारियों से कहा कि घाटी में सामान्य जीवन बहाल करें और कल्याणकारी सुविधाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करें। 

न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए चयनात्मक आधार पर प्रतिबंध हटाए जाएंगे। न्यायालय ने केन्द्र से कश्मीर में जल्द से जल्द स्थिति सामान्य करने के लिए हरसंभव कदम उठाने को भी कहा। उसने कहा कि घाटी में अगर तथा-कथित बंद है तो उससे जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय निपट सकता है। 

‘कश्मीर टाइम्स’ की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की ओर से जम्मू-कश्मीर में लगे संचार प्रतिबंधों को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर न्यायालय ने ये निर्देश दिए। 

केन्द्र की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि एक गोली भी नहीं चलाई गई और कुछ स्थानीय प्रतिबंध लगे हैं। कश्मीर संभाग के 88 प्रतिशत से अधिक थाना क्षेत्रों से प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। उन्होंने पीठ से कहा कि कश्मीर स्थित सभी समाचार पत्र काम कर रहे हैं और सरकार हरसंभव मदद मुहैया करा रही है। 

उन्होंने कहा कि दूरदर्शन जैसे टीवी चैनल और अन्य निजी चैनल, एफएम नेटवर्क काम कर रहे हैं। पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा कि इस हलफनामे पर उठाए गए कदमों का विवरण दें। 

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय से मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से उन आरोपों पर एक रिपोर्ट मांगी है जिनमें कहा गया है कि लोगों को उच्च न्यायालय तक अपनी बात पहुंचाने में कठिनाई हो रही है। 

भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, अगर लोग उच्च न्यायालय से अपनी बात नहीं कह पा रहे हैं तो ये “बहुत बहुत गंभीर” बात है। 

दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं के अधिवक्ता ने न्यायालय में आरोप लगाया कि लोगों को उच्च न्यायालय से अपनी बात कहने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 

प्रधान न्यायाधीश ने अधिवक्ता को चेतावनी दी कि अगर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट में विपरीत बात समाने आए तो उन्हें इसके “नतीजों” का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

आजाद को जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति देते हुए कहा कि वह वहां कोई राजनीतिक रैली ना करें। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली एक पीठ ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री को जम्मू, अनंतनाग, बारामूला और श्रीनगर जाने और लोगों से बातचीत करने की अनुमति दे दी। पीठ में न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर भी शामिल थे। 

आजाद का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील ए. एम सिंघवी ने पीठ से कहा कि वह लोगों से मिल उनका हालचाल जानना चाहते हैं। सिंघवी ने कहा कि आजाद ने तीन बार वहां जाने की कोशिश की लेकिन उन्हें हवाई अड्डे से ही लौटा दिया गया। 

आजाद ने रविवार को कहा था कि वह ‘‘अराजनैतिक’’ था। आजाद ने याचिका में शीर्ष अदालत से अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति भी मांगी थी।

आजाद ने राज्य को विशेषाधिकार देने वाले प्रावधान हटाए जाने के बाद अधिकारियों द्वारा लगाए प्रतिबंधों के मद्देनजर सामाजिक स्थिति का मुआयना लेने की अनुमति भी मांगी थी। 

Web Title: Article 370: Modi government said in Supreme Court, 57168 people lost their lives in 30 years, not a single bullet fired after August 5

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