अनुच्छेद 370: कश्मीर में इंटरनेट, मोबाइल सेवा बाधित होने से पत्रकारों को हो रही है मुश्किल

By भाषा | Published: September 15, 2019 07:32 PM2019-09-15T19:32:32+5:302019-09-15T19:32:32+5:30

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदेशों में बांटने के फैसले की पूर्व संध्या पर चार अगस्त की शाम से घाटी में पाबंदियां लागू हैं। लैंडलाइन फोन सेवा को इस महीने के शुरू में फिर से बहाल किया गया है लेकिन मोबाइल सेवाएं और इंटरनेट-किसी भी प्लेटफॉर्म पर- अब भी बंद हैं।

Article 370: Journalists are facing difficulty due to internet, mobile service disrupted in Kashmir | अनुच्छेद 370: कश्मीर में इंटरनेट, मोबाइल सेवा बाधित होने से पत्रकारों को हो रही है मुश्किल

पत्रकारों की शिकायतों के बाद हालांकि यहां कुछ कंप्यूटर बढ़ाए गए हैं और नेटवर्क की स्पीड में भी इजाफा किया गया है। 

Highlightsइंटरनेट और मोबाइल सेवा नहीं होने से घाटी के पत्रकारों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैपरेशान पत्रकारों ने अब मांग की है कि सरकार को कम से कम मीडिया संस्थानों के ब्रॉडबैंड कनेक्शन बहाल करने चाहिए।

कश्मीर में पिछले 40 दिनों से इंटरनेट और मोबाइल सेवा नहीं होने से घाटी के पत्रकारों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और सरकार द्वारा बनाया गया एक अस्थायी मीडिया केंद्र ही बाकी दुनिया के साथ उनके संपर्क का एक मात्र जरिया बना हुआ है।

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदेशों में बांटने के फैसले की पूर्व संध्या पर चार अगस्त की शाम से घाटी में पाबंदियां लागू हैं। लैंडलाइन फोन सेवा को इस महीने के शुरू में फिर से बहाल किया गया है लेकिन मोबाइल सेवाएं और इंटरनेट-किसी भी प्लेटफॉर्म पर- अब भी बंद हैं।

परेशान पत्रकारों ने अब मांग की है कि सरकार को कम से कम मीडिया संस्थानों के ब्रॉडबैंड कनेक्शन बहाल करने चाहिए। एक वरिष्ठ फोटो पत्रकार ने कहा इरफान अहमद, “हमारा अपने मुख्यालयों से न्यूनतम संपर्क है। हम अक्सर असाइनमेंट या कुछ दूसरे कामों की वजह से अपने कार्यालयों से बाहर रहते हैं और ऐसे में मुख्यालय में बैठे व्यक्ति या हमारे घरवालों के लिये भी मोबाइल फोन सेवाओं की अनुपस्थिति में हमसे संपर्क करना बेहद मुश्किल होता है।”

एक दैनिक अखबार के लिये काम करने वाले एक अन्य स्थानीय पत्रकार मुदासिर ने कहा कि संचार बाधित होने की वजह से सूचना संग्रहण का काम भी मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा, “हमें अक्सर पता नहीं चलता कि शहर में क्या हो रहा है और दूसरे जिलों से भी सूचनाएं आनी मुश्किल हो गई हैं। हमें घटनाओं के बारे में आधिकारिक वर्णन पर निर्भर होना पड़ता है।

अन्य जिलों के अधिकारियों और सूत्रों तक पहुंचना अब बहुत मुश्किल हो गया है।” प्रतिबंध लगाए जाने के बाद शुरुआती कुछ दिनों में पत्रकार टीवी चैनलों की ओबी वैन के अलावा किसी और जरिये से खबर भेजना संभव नहीं था। कई पत्रकार अपनी खबरों को पेन ड्राइव में डालकर हवाईअड्डों पर जाकर विमान यात्रियों के जरिये अपनी खबर भेजते थे।

यात्री तब मीडिया हाउस को फोन कर संपर्क कर पेनड्राइव देते थे। करीब एक हफ्ते बाद राज्य सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने एक स्थानीय होटल के कॉन्फ्रेंस कक्ष में अस्थायी तौर पर मीडिया सुविधा केंद्र स्थापित किया गया। यहां राज्य और राज्य के बाहर के सैकड़ों पत्रकारों के लिये चार कंप्यूटर और एक मात्र मोबाइल फोन है जो नाकाफी साबित होता था। पत्रकारों की शिकायतों के बाद हालांकि यहां कुछ कंप्यूटर बढ़ाए गए हैं और नेटवर्क की स्पीड में भी इजाफा किया गया है। 

Web Title: Article 370: Journalists are facing difficulty due to internet, mobile service disrupted in Kashmir

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