करीब 3500 न्यायविदों, कलाकारों ने सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ प्राथमिकी की निंदा की, मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया

By भाषा | Published: April 15, 2020 05:00 AM2020-04-15T05:00:12+5:302020-04-15T05:00:12+5:30

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पंजाब के राज्यपाल के पूर्व सलाहकार एवं रोमानिया में भारत के पूर्व राजदूत जूलियो रिबेरो और पूर्व सीईसी एम एस गिल सहित कई पूर्व नौकरशाह के भी हस्ताक्षर हैं।

Around 3500 jurists, artists condemned FIR against Siddharth Varadarajan, attacking media freedom | करीब 3500 न्यायविदों, कलाकारों ने सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ प्राथमिकी की निंदा की, मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया

सिद्धार्थ वरदराजन

Highlightsज़ोया अख्तर, किरण राव और आनंद पटवर्धन फ़िल्म निर्माताओं में शामिल हैं और दयानिता सिंह उन फोटोग्राफरों में हैं जिन्होंने सिद्धार्थ वरदराजन पर केस किए जाने का विरोध किया है।कई वरिष्ठ पत्रकार और दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के एक हजार से अधिक प्रोफेसर अकादमिक हस्ताक्षरकर्ताओं में से हैं। 

नयी दिल्ली: लगभग 3,500 न्यायविदों, शिक्षाविदों, अभिनेताओं, कलाकारों, लेखकों के साथ ही अन्य क्षेत्र के लोगों ने ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस की निंदा की है और मांग की है कि उनके खिलाफ सभी आपराधिक कार्यवाही वापस ली जाए। इन लोगों ने एक संयुक्त बयान में इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। इन लोगों ने साथ ही केंद्र और सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे मीडिया की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए कोविड-19 महामारी का सहारा नहीं लें।

बयान ने कहा गया कि एक चिकित्सकीय आपात स्थिति को एक वास्तविक राजनीतिक आपातकाल लगाने के बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर, मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के चंद्रू और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अंजना प्रकाश शामिल हैं। नौसेना के दो पूर्व प्रमुखों - एडमिरल रामदास और एडमिरल विष्णु भागवत के साथ ही इस पर हस्ताक्षर करने वालों पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा भी शामिल हैं।

उन्होंने अपने बयान में ‘‘कोविड​​-19 और धार्मिक कार्यक्रम के बारे में पूरी तरह से तथ्यात्मक खबर’’ के लिए ‘द वायर’ और उसके संस्थापक संपादकों में से एक के खिलाफ योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार के कदम और पुलिस द्वारा आपराधिक आरोप दर्ज करने पर हैरानी जतायी। बयान में कहा गया, ‘‘मीडिया की स्वतंत्रता पर यह हमला, विशेष रूप से कोविड-19 संकट के दौरान, न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, बल्कि जनता के सूचना के अधिकार को खतरे में डालता है।’’

हस्ताक्षरकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार से वरदराजन और ‘द वायर’ के खिलाफ प्राथमिकी वापस लेने और सभी आपराधिक कार्यवाही रोकने का आह्वान किया। इन लोगों ने मीडिया का भी आह्वान किया कि वह इस महामारी का सांप्रदायिकरण न करे। उत्तर प्रदेश पुलिस ने इसी महीने वरदराजन के खिलाफ ट्विटर पर इस टिप्पणी के लिए मामला दर्ज किया जिसमें दावा किया गया था कि जिस दिन तबलीगी जमात ने दिल्ली में अपना कार्यक्रम आयोजित किया था उस दिन मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा था कि रामनवमी का मेला हमेशा की तरह होगा।

वरदराजन के खिलाफ प्राथमिकी में उनकी उस टिप्पणी का भी उल्लेख किया गया था जिसमें राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच आदित्यनाथ के अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल पर एक धार्मिक समारोह में भाग लेने पर सवाल उठाया गया था। इसमें कहा गया है कि एक अप्रैल को कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दो प्राथमिकी दर्ज की गईं, एक अयोध्या के एक निवासी की शिकायत पर और दूसरी कोतवाली नगर पुलिस थाना, फैजाबाद के एसएचओ द्वारा की गई शिकायत के आधार पर।

इस बयान पर पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पंजाब के राज्यपाल के पूर्व सलाहकार एवं रोमानिया में भारत के पूर्व राजदूत जूलियो रिबेरो और पूर्व सीईसी एम एस गिल सहित कई पूर्व नौकरशाह के भी हस्ताक्षर हैं। अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं में लेखक विक्रम सेठ, नयनतारा सहगल, अरुंधति रॉय, अनीता देसाई, के सच्चिदानंदन और किरण देसाई शामिल हैं। इस बयान को अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह, नंदिता दास, फरहान अख्तर और मल्लिका साराभाई जैसे अभिनेताओं और कलाकारों ने भी समर्थन दिया है।

ज़ोया अख्तर, किरण राव और आनंद पटवर्धन फ़िल्म निर्माताओं में शामिल हैं और दयानिता सिंह उन फोटोग्राफरों में हैं जिन्होंने इस बयान का समर्थन किया है। कई वरिष्ठ पत्रकार और दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के एक हजार से अधिक प्रोफेसर अकादमिक हस्ताक्षरकर्ताओं में से हैं। 

Web Title: Around 3500 jurists, artists condemned FIR against Siddharth Varadarajan, attacking media freedom

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