चार दिन पहले कोरोना ने ली पिता की जान, अब मां ने भी छोड़ा साथ, किसी ने नहीं की मदद तो बेटी ने खुद दफन की लाश
By एस पी सिन्हा | Published: May 8, 2021 05:15 PM2021-05-08T17:15:40+5:302021-05-08T17:15:40+5:30
इस घटना की जो तस्वीरें सामने आई है, वह झकोझरनेवाला है। इस तस्वीरों में पीपीई किट पहने बेटी अपनी मां के शव को दफना रही है। उसके आसपास कोई नजर नहीं आ रहा है।
कोरोना की भयावह तस्वीर बिहार के अररिया जिले से सामने आई है। जिले के रानीगंज प्रखंड के बिशनपुर पंचायत स्थित मझुलता गांव में कोरोना संक्रमित दंपती की मौत हो जाने के बाद उनके बच्चे अब अनाथ हो गये हैं। दरअसल, चार मई को पूर्णिया में इलाज के दौरान पति की मौत हुई तो वहीं शुक्रवार की देर रात पत्नी ने दम तोड दिया।
ग्रामीणों के मुताबिक दोनो पति-पत्नी 28 अप्रैल को एक साथ कोरोना संक्रमित हुए थे। इसके बाद दोनों को इलाज के लिए पूर्णिया ले जाया गया। पूर्णिया में इलाज के दौरान चार मई को पति की मौत हो गई। इसके बाद पत्नी का इलाज जारी था। इस दौरान परिजनों के पास इलाज केलिए पैसे नहीं होने के कारण पत्नी को हॉस्पिटल से बुधवार को घर लाया गया। इस दौरान प्रियंका देवी की स्थिति गंभीर बनी हुई थी।
आर्थिक स्थिति ठीक न रहने और इलाज में काफी रुपए खर्च होने के बाद प्रियंका के परिजन उसे लेकर घर आ गए। गुरुवार की देर रात हालत बिगडने लगी। उसे पहले रानीगंज रेफरल अस्पताल फिर फारबिसगंज कोविड केयर अस्पताल ले जाया गया। हालत गंभीर होने की वजह से मधेपुरा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। लेकिन रास्ते में ही मरीज की मौत हो गई। इस घटना को लेकर गांव में कोहराम मचा हुआ है।
आसपास के लोग सहमे हुए हैं। वहीं इस गांव में आधा दर्जन से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। इनमे कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। कोरोना संक्रमण की वजह से गांव में कोई भी प्रियंका के अंतिम संस्कार में सहयोग करने को राजी नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में बडी बेटी सोनी कुमारी ने ही किसी तरह गड्ढा खोद और खुद पीपीई कीट पहन मां के शव को दफनाया। चार दिन के अंतराल में तीनों बच्चों के सिर से माता पिता का साया उठ गया। अब चिंता इस बात की है कि दो बेटी व एक बेटा किसके सहारे रहेंगे?
इस संबंध में समाज कल्याण विभाग ने सभी डीएम को पत्र लिखा है। समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार ने जिलों के सभी डीएम को निर्देश दिया है कि अनाथ बच्चों को अविलंब चाइल्ड केयर होम में रखे जाने की व्यवस्था की जाए। बच्चे या बच्चियों को ट्रैफिकिंग में लगाए जाने की आशंका जताते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। बच्चों की उम्र के हिसाब से उन्हें चाइल्ड केयर होम में रखने की व्यवस्था कराई जाएगी। बच्चों की इलाज और अन्य तरह की व्यवस्था भी की जाएगी।