सुरक्षाबलों पर हमले के लिए 'मार्च से जून' नक्सलियों के लिए होता है मुफीद; चलाते हैं टीसीओसी अभियान, बीते दो साल के मुकाबले इस साल हुए सबसे ज्यादा IED हमले

By अनिल शर्मा | Published: April 27, 2023 02:14 PM2023-04-27T14:14:22+5:302023-04-27T14:40:23+5:30

हर साल मार्च और जून माह के मध्य नक्सली टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं और बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते हैं। इस दौरान दौरान माओवादी बड़े पैमाने पर लोगों की अपनी सेना में भर्ती करते हैं।

April to June is favorable for Naxalites to attack security forces runs TCOC campaign | सुरक्षाबलों पर हमले के लिए 'मार्च से जून' नक्सलियों के लिए होता है मुफीद; चलाते हैं टीसीओसी अभियान, बीते दो साल के मुकाबले इस साल हुए सबसे ज्यादा IED हमले

सुरक्षाबलों पर हमले के लिए 'मार्च से जून' नक्सलियों के लिए होता है मुफीद; चलाते हैं टीसीओसी अभियान, बीते दो साल के मुकाबले इस साल हुए सबसे ज्यादा IED हमले

Highlightsटीसीओसी के दौरान ही नक्सली बड़े हमलों को अंजाम देते हैं। 2021 में सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सलियों ने टीओसी के दौरान ही हमला किया था जिसमें 22 जवानों की मौत हुई थी।15 अप्रैल तक बस्तर में माओवादियों ने 34 IED हमले किए हैं।

दंतेवाड़ाः छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में बुधवार को बारूदी सुरंग विस्फोट (IED) में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के 10 जवानों और एक वाहन चालक मारे गए। बुधवार को जब डीआरजी जवान कुछ माओवादियों को हिरासत में लेकर लौट रहे थे, उनकी गाड़ियों को 50 किलो विस्फोटक से उड़ा दिया गया। माओवादियों द्वारा इतना बड़ा हमला करीब दो साल बाद हुआ है। इससे पहले साल 2021 में सुरक्षाबलों पर हमला हुए था जिसमें 22 जवान मारे गए थे।

 टीसीओसी के दौरान ही नक्सली बड़े हमलों को अंजाम देते हैं

माओवादी इस समय को सुरक्षाबलों पर हमले के लिए मुफिद मानते हैं। क्योंकि हर साल मार्च और जून माह के मध्य नक्सली टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं और बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते हैं। इस दौरान दौरान माओवादी बड़े पैमाने पर लोगों को अपनी सेना में भर्ती करते हैं। और हमले की रणनीति तैयार करते हैं।

हमले के लिए अप्रैल से जून के बीच का वक्त नक्सली क्यों चुनते हैं?

क्योंकि वसंत के मौसम के कारण, नक्सलियों के लिए स्थानीय लोगों से उनके समर्थन के लिए संपर्क करना आसान होता है। वंसत में किसी के पास काम नहीं होता है, नक्सली लोगों से मिलते हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, जुलाई में मानसून की शुरुआत के साथ ही जंगलों में आक्रामक अभियान चलाना मुश्किल हो जाता है। नाले भरे होते हैं, पत्ते गिरे होते हैं, झाड़ियों की अधिकता होती है,, जिससे विजिबिलिटी कम हो जाती है। इस दौरान नकस्ली अपने शिविर में लौट जाते हैं।

माओवादियों द्वारा सुरक्षा बलों पर लगभग सभी बड़े हमले, टीसीओसी ( मार्च और जून माह के बीच ) के दौरान ही हुए हैं। इससे पहले तीन अप्रैल 2021 में सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में 22 जवान शहीद हुए थे। 

21 मार्च, 2020 को सुकमा के मिनपा इलाके में नक्सली हमले में 17 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे

इससे पहले 21 मार्च, 2020 को सुकमा के मिनपा इलाके में नक्सली हमले में 17 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। वहीं नौ अप्रैल, 2019 को दंतेवाड़ा जिले में एक नक्सली विस्फोट में भाजपा विधायक भीमा मंडावी और चार सुरक्षाकर्मी मारे गए थे तथा सुकमा में 24 अप्रैल, 2017 को बुरकापाल हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मृत्यु हुई थी। 

 2010 का ताड़मेटला हमला भी टीसीओसी के दौरान हुआ था,  76 जवानों की मौत हुई थी

इसी तरह साल 2010 का ताड़मेटला (तब दंतेवाड़ा में) हमला भी टीसीओसी के दौरान अप्रैल माह में हुआ था,जिसमें सीआरपीएफ के 76 जवानों की मृत्यु हुई थी।  रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल TCOC की शुरुआत के बाद से 15 अप्रैल तक बस्तर में माओवादियों ने 34 IED हमले किए हैं। 2022 में यह आंकड़ा 28 और 2021 में 21 था।

पिछले चार साल में नक्सलियों के कोर एरिया में 75 कैंप लगाए गए

गुरुवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछले चार साल में नक्सलियों के कोर एरिया में 75 कैंप लगाए गए हैं जबकि पहले के कैंप बफर एरिया में लगाए गए थे। अब जगरगुंडा (सुकमा जिला) जाने के लिए सुकमा (जिला मुख्यालय) जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अरनपुर (दंतेवाड़ा) और भैरमगढ़ (बीजापुर) से वहां तक पहुंचने के लिए सड़कें बन चुकी हैं। पुवर्ती (बीजापुर जिले में) जिसे हिडमा (खूंखार माओवादी कमांडर) का मुख्यालय कहा जाता है, को चारों तरफ से (सुरक्षा बलों के शिविरों द्वारा) घेर लिया गया है।''

बघेल ने जानकारी दी कि ''बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों में सड़कें बनाई जा रही हैं और पुलिस शिविर स्थापित किए जा रहे हैं। सरकार पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। नक्सलियों को बैकफुट पर धकेल दिया गया है और ऐसा हमला दो साल के अंतराल के बाद हुआ है, जिसे नक्सलियों ने निराशा में अंजाम दिया है।''

Web Title: April to June is favorable for Naxalites to attack security forces runs TCOC campaign

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