यूपी में बीजेपी को इस सहयोगी ने दी चेतावनी, कहा- शेर को मत छेड़ो वरना भुगतना होगा अंजाम
By विकास कुमार | Published: January 8, 2019 04:42 PM2019-01-08T16:42:24+5:302019-01-08T16:42:24+5:30
आशीष पटेल ने मिर्जापुर में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि भाजपा को तीन राज्यों के चुनाव परिणामों से सबक लेना चाहिए. आशीष ने कहा कि सपा और बसपा का गठबंधन एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती है.
भारतीय जनता पार्टी के लिए गठबंधन के हिसाब से अभी चीजें ठीक नहीं चल रही है. शिवसेना की आलोचनाओं के बाद एक और सहयोगी ने अब पार्टी को आंख दिखाया है. इस बार अपना दल ने बीजेपी को गठबंधन के साथियों से बर्ताव को लेकर निशाना साधा है.
अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने अपने समुदाय के एक कार्यक्रम में कहा, ''बीजेपी शेर के पूछ से खेल रही है, अभी हम आपके पीछे-पीछे चल रहे हैं लेकिन इसी तरह चलता रहा तो हम कहां जायेंगे इसका अंदाजा आप भी नहीं लगा सकते.'' उनके इस बयान को चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है.
हाल के दिनों में अपना दल की नाराजगी खुल कर सतह पर आ गई है. ऐसा कहा जा रहा है कि अनुप्रिया पटेल केंद्र में अपनी भूमिका को लेकर खुश नहीं हैं. वहीं राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार से भी अपना दल की नाराजगी कई मौकों पर सामने आ चुकी है. हाल ही में पीएम मोदी की गाजीपुर में रैली के दौरान अनुप्रिया पटेल का गायब रहना चर्चा का विषय रहा. ऐसे कयास भी लगाये जा रहे हैं कि अगर अपना दल को लोकसभा में बीजेपी की तरफ से सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो एनडीए छोड़कर महागठबंधन में भी शामिल हो सकती है.
अपना दल (सोनेवाल) ने 2014 का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था. उत्तर प्रदेश में भाजपा को 71 सीटें मिली थी और वहीं अपना दल को 2 सीटें मिली थी. अपना दल का प्रदेश में कुर्मी वोटों पर एकाधिकार माना जाता है.
आशीष पटेल ने मिर्जापुर में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि भाजपा को तीन राज्यों के चुनाव परिणामों से सबक लेना चाहिए. आशीष ने कहा कि सपा और बसपा का गठबंधन एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती है, ऐसे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को इस बारे में सोचना चाहिए वरना यूपी में एनडीए को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. उन्होंने आगे कहा कि छोटी पार्टियां बीजेपी के नेतृत्व द्वारा ठगा हुआ महसूस कर रही हैं.
अपना दल का यूपी में भले ही कोई ज्यादा जनाधार नहीं हो लेकिन महागठबंधन में शामिल होना बीजेपी के लिए एक बुरा राजनीतिक संकेत माना जायेगा, क्योंकि ऐसे में सभी जातियों का वोट महागठबंधन के साथ जुड़ जायेगा जो कि बीजेपी के शुभ संकेत नहीं होंगे.
हाल ही में रामविलास पासवान ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से नाराजगी जाहिर करते हुए अपना हिस्सा प्राप्त किया है, ऐसे में कहा जा रहा है कि अपना दल की नाराजगी लोकसभा में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का एक हथकंडा भर है.