महाराष्ट्र बाढ़ पीडि़तों के लिए मदद की घोषणाएं: एक हेक्टेयर तक फसल कर्ज माफ, प्रधानमंत्री आवास योजना से बनाए जाएंगे नए मकान
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 20, 2019 08:15 AM2019-08-20T08:15:02+5:302019-08-20T08:15:02+5:30
बाढ़ में बह चुके और मारे गए जानवरों के लिए पटवारी, सरपंच और दूध संघों के पदाधिकारियों द्वारा किए गए पंचनामे स्वीकार किए जाएंगे. दूध देने वाले जानवरों की नुकसान भरपाई की राशि बढ़ाकर 30 हजार रु. कर दी गई है.
महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ग्रस्त इलाकों में जिन किसानों की फसल नष्ट हुई है, उनके लिए एक हेक्टेयर तक फसल कर्ज माफ करने की घोषणा की है. जिन किसानों ने कर्ज नहीं लिया है, लेकिन उनकी फसल नष्ट हुई है उन्हें तीन गुना मुआवजा दिया जाएगा.
इसके अलावा, पीडि़त परिवारों को तीन महीनों तक नि:शुल्क गेहूं और चावल दिए जाएंगे. जुलाई और अगस्त में अत्याधिक बारिश की वजह से कुछ जिलों में बाढ़ की स्थिति बन गई थी. बाढ़ पीडि़तों की मदद संबंधी निर्णय करने के लिए आज मंत्रिमंडल की उपसमिति की बैठक आयोजित की गई थी.
इसके बाद मुख्यमंत्री ने निर्णयों के बारे में बताया. उसके अनुसार क्षतिग्रस्त मकानों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना से किया जाएगा. इसमें केंद्र सरकार की राशि के साथ-साथ राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त एक लाख रु. दिए जाएंगे. साथ ही, मकानों का निर्माण पूरा होने तक पीडि़त परिवार को अस्थायी निवास के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 24 हजार रु. और शहरी क्षेत्र में 36 हजार रु. दिए जाएंगे.
इसके अलावा, मकान बनाने के लिए पांच ब्रास बालू और मुरूम, तीन महीनों तक 10 किलो गेहूं और चावल नि:शुल्क दिए जाएंगे. कृषि पम्प के बिजली बिल की वसूली तीन महीनों तक स्थगित कर दी गई है. उन्होंने बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में छोटे व्यवसायियों को 50 हजार रु. तक नुकसान भरपाई दी जाएगी. जानवरों के क्षतिग्रस्त तबेलों के लिए भी सहायता दी जाएगी.
बाढ़ में बह चुके और मारे गए जानवरों के लिए पटवारी, सरपंच और दूध संघों के पदाधिकारियों द्वारा किए गए पंचनामे स्वीकार किए जाएंगे. दूध देने वाले जानवरों की नुकसान भरपाई की राशि बढ़ाकर 30 हजार रु. कर दी गई है. छोटे व्यवसायियों, मूर्तिकार और हस्तकलाकार को उनके नुकसान का 75 प्रतिशत मुआवजा या फिर 50 हजार रु. तक भरपाई दी जाएगी.
मुख्यमंत्री ने बताया कि बाढ़ की स्थिति और उपाय योजनाओं के अध्ययन के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की गई है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में जनजीवन सामान्य स्तर पर लाने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है. शहरी इलाकों में जलापूर्ति बहाल कर दी गई है. सफाई का काम भी युद्धस्तर पर किया जा रहा है. बुनियादी सुविधाओं के कार्य भी तेजी से पूरे किए जा रहे हैं.