जगन रेड्डी सरकार ने चन्द्रबाबू द्वारा पट्टे पर लिए गए बंगले को ‘हटाने’ के लिये नोटिस जारी किया
By भाषा | Published: June 28, 2019 05:37 PM2019-06-28T17:37:09+5:302019-06-28T17:37:09+5:30
आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने नोटिस बंगले की दीवार पर चिपका दिया क्योंकि इसके मालिक लिंगमनेनी रमेश वहां नहीं थे। प्राधिकरण के नोटिस में कहा गया है कि कृष्णा नदी की तलहटी पर छह एकड़ में फैले इस बंगले के निर्माण में कानूनी अनुमति नहीं ली गई और यह नियम-कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने कृष्णा नदी की तलहटी पर बने अवैध बंगले को ‘हटाने’ के लिये शुक्रवार को नोटिस जारी किया। यह बंगला पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू ने पट्टे पर ले रखा था।
आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने नोटिस बंगले की दीवार पर चिपका दिया क्योंकि इसके मालिक लिंगमनेनी रमेश वहां नहीं थे। प्राधिकरण के नोटिस में कहा गया है कि कृष्णा नदी की तलहटी पर छह एकड़ में फैले इस बंगले के निर्माण में कानूनी अनुमति नहीं ली गई और यह नियम-कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।
अधिकारियों ने बुधवार को बंगले से लगे एक सम्मेलन कक्ष ‘प्रजा वेदिका’ को तोड़ना शुरू किया था। इस कक्ष को नायडू के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सरकारी सम्मेलनों के लिये 8.90 करोड़ रुपये की लागत से बनवाया गया था क्योंकि राज्य की नयी राजधानी में इसके लिये कोई अन्य सुविधा नहीं थी।
Andhra Pradesh Capital Region Development Authority has served notice to Former CM, N Chandrababu Naidu to vacate his current official residence. pic.twitter.com/E8KmJA3AqQ
— ANI (@ANI) June 28, 2019
इस बीच तेदेपा ने नायडू के बंगले के मालिक रमेश को जारी किये गये नोटिस को लेकर आश्चर्य जताया। तेदेपा के पोलित ब्यूरो सदस्य और आंध्र प्रदेश विधान परिषद में विपक्ष के नेता यानमाला रामकृष्णुडु ने एक बयान में कहा, ‘‘यह बदले की कार्रवाई है।
भवन का निर्माण तब किया गया था जब वाई एस राजशेखर रेड्डी मुख्यमंत्री थे (अविभाजित आंध्र प्रदेश के)। अगर यह अवैध था, तो राजशेखर रेड्डी सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की।’’ रामकृष्णुडु ने कहा, ‘‘बेटे (वाई एस जगनमोहन रेड्डी) पिता (राजशेखर रेड्डी) द्वारा अनुमति प्राप्त ढांचों को नोटिस कैसे जारी कर सकते हैं।’’
तेदेपा नेता ने आरोप लगाया कि जगनमोहन रेड्डी की सरकार एक ‘‘विनाशकारी शासन’’ बन गई है और सभी लोकतांत्रिक ताकतों को इसकी आलोचना करनी चाहिए।