आंध्र प्रदेश में दिशा बिल 2019 पारित, रेप के दोषियों को 21 दिनों के भीतर दी जाएगी मौत की सजा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 13, 2019 03:06 PM2019-12-13T15:06:48+5:302019-12-13T15:08:40+5:30
उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना में पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के चारों आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच का बृहस्पतिवार को आदेश दिया। न्यायालय ने इस मुठभेड़ की जांच के लिये गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की बागडोर शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वी एस सिरपुरकर को सौंपी है।
हैदराबाद में एक डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर की घटना के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। इस मामले में सभी चार आरोपियों को पुलिस ने मार गिराया। जिसके बाद रेप के मामले में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए लोंगों द्वारा तरह-तरह के तर्क दिए जाने लगे।
इसी बीच खबर आ रही है कि आंध्र प्रदेश की विधानसभा ने आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक 2019 (आंध्र प्रदेश आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2019) पारित कर दिया है। इस विधेयक में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के अपराधों के लिए मौत की सजा देने और 21 दिनों के भीतर ऐसे मामलों के परीक्षण में निर्णय लेने का प्रावधान है।
Andhra Pradesh Assembly has passed Andhra Pradesh Disha Bill 2019 (Andhra Pradesh Criminal Law (Amendment) Act 2019). The bill provides for awarding death sentence for offences of rape and gang rape and expediting verdict in trials of such cases within 21 days. pic.twitter.com/VZ6JCVo236
— ANI (@ANI) December 13, 2019
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना में पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के चारों आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच का बृहस्पतिवार को आदेश दिया। न्यायालय ने इस मुठभेड़ की जांच के लिये गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की बागडोर शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वी एस सिरपुरकर को सौंपी है। जांच आयोग के अन्य सदस्यों में बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रेखा संदूर बाल्डोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक डी आर कार्तिकेयन शामिल हैं। आयोग को छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपनी है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने इसके साथ ही तेलंगाना उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में इस घटना के संबंध में लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी है। पीठ ने मुठभेड़ के इस मामले की जांच के लिये गठित विशेष जांच दल की रिपोर्ट तलब करने के साथ ही कहा कि उसके अगले आदेश तक जांच आयोग के समक्ष लंबित इस मामले में कोई अन्य प्राधिकार इसकी जांच नहीं करेगा।