भारी सुरक्षा इंतजाम के बीच प्रदर्शनकारी किसानों ने जंतर मंतर पर शुरू की किसान संसद
By भाषा | Published: July 22, 2021 10:47 PM2021-07-22T22:47:32+5:302021-07-22T22:47:32+5:30
नयी दिल्ली, 22 जुलाई केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मध्य दिल्ली के जंतर मंतर पर बृहस्पतिवार को 'किसान संसद' शुरू की।
जंतर मंतर, संसद भवन से कुछ ही दूरी पर स्थित है जहां मॉनसून सत्र चल रहा है।
किसानों ने कहा कि किसान संसद आयोजित करने का उद्देश्य यह प्रदर्शित करना है कि अपने 600 लोगों की जान गंवाने के बाद भी उनका आंदोलन अब भी जारी है।
अपने-अपने यूनियनों के झंडे हाथों में थामे 200 किसानों के एक समूह ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन करते हुए विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी मांगी।
यह योजना बनाई गई कि 200 किसानों का समूह संसद का मॉनसून सत्र 13 अगस्त को संपन्न होने तक तक जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेगा। हालांकि, उप राज्यपाल अनिल बैजल ने वहां नौ अगस्त तक ही प्रदर्शन करने की अनुमति दी है।
केंद्रीय मंत्री व नयी दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद मीनाक्षी लेखी ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं सहित अन्य स्थानों पर आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों को किसान कहने पर आपत्ति जताई और बृहस्पतिवार को कहा कि ‘‘वह लोग मवाली हैं’’।
लेखी ने यह बात भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान किसानों के आंदोलन से जुड़े सवालों के जवाब में कही।
वहीं, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने सांसदों को एक सख्त संदेश देते हुए कहा कि किसान जानते हैं कि उनके मुद्दों को संसद में नहीं उठाने वालों की आवाज कैसे दबानी है और सांसदों के खिलाफ प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘किसान जानते हैं कि संसद कैसे चलानी है। जो लोग संसद में बैठे हैं-चाहे वे विपक्षी नेता हों या सरकार के लोग हों, यदि वे हमारे मुद्दे नहीं उठाते हैं तो हम उनके निर्वाचन क्षेत्र में अपनी आवाज उठाएंगे। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह दुनिया की पहली संसद है जो अवरोधकों के अंदर चल रही है और जिसे किसानों ने शुरू किया है। किसान संसद, संसद का सत्र जारी रहने तक चलेगी और आप (सरकार) को हमारी मांगें माननी पड़ेगी।’’
टिकैत ने कहा कि वे तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करेंगे।
किसान संघों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन था और किसान संसद पूरी तरह से शांतिपूर्ण रही।
एक बयान में कहा गया है कि किसान संसद में भाग लेने वाले किसानों ने कृषि कानूनों की असंवैधानिक प्रकृति, सरकार द्वारा उन्हें अलोकतांत्रिक तरीके से थोपे जाने और किसानों की आजीविका पर पड़ने वाले इसके गंभीर परिणामों सहित अन्य बिंदुओं को उठाया। साथ ही , एपीएमसी बाईपास एक्ट पर विस्तार से चर्चा की गई।
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन के मद्देनजर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और हजारों कर्मियों को इलाके में तैनात किया गया है।
उन्होंने बताया कि पहले दिन का प्रदर्शन शांतिपूर्वक संपन्न हो गया।
किसान नेता रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा, ‘‘(किसान) संसद के तीन सत्र होंगे। छह सदस्यों का चयन किया गया है जिन्हें तीनों सत्र के लिए अध्यक्ष (स्पीकर) और उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) चुना जाएगा। प्रथम सत्र में किसान नेता हन्नान मुल्ला और मंजीत सिंह को इन पदों के लिए चुना गया है।
अन्य नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि गणतंत्र दिवस की घटना के बाद इस बार किसानों ने कम संख्या में एकत्र होने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ना तो हम और ना ही सरकार भारी भीड़ के प्रति सहज है। भोजनावकाश और चाय के लिए भी अवकाश होगा तथा हमारे पास सबकुछ है।’’
उन्होंने किसान संसद की जरूरत के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि मीडिया देश भर में कोविड की स्थिति पर रिपोर्टिंग कर रहा है और यह संदेश जा रहा है कि किसान आंदोलन अंतिम सांसें गिन रहा है।
कक्का ने कहा, ‘‘किसान संसद के जरिए हमने दिखा दिया है कि आंदोलन अब भी जीवंत है और हम अपना अधिकार लेकर रहेंगे। ’’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पिछले सात वर्षो में लाए गये 42 किसान विरोधी कानूनों पर भी किसान संसद में चर्चा की जाएगी।
किसान नेता हन्नान मुल्ला ने कहा कि तीन नये कृषि कानूनों को लेकर संसद में हंगामा हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘किसान संसद में हम उन तीन कृषि कानूनों पर चर्चा करेंगे जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं। ये काले कानून संसद में चर्चा के बगैर पारित किये गये थे। हम किसान संसद के जरिए इन्हें खारिज करेंगे। ’’
मुल्ला ने कहा कि किसानों ने सभी सांसदों को पत्र लिख कर अपनी मांग उठाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद उनके मुद्दों पर चर्चा नहीं कर रही है।
इससे पहले, दिल्ली के उप राज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने जंतर मंतर पर नौ अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों को प्रदर्शन करने की विशेष अनुमति दी है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि करीब 5,000 सुरक्षा कर्मी नयी दिल्ली जिले में तैनात किये गये हैं।
पुलिस उपायुक्त(नयी दिल्ली) दीपक यादव ने कहा, ‘‘केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) की कई कंपनियां जंतर मंतर पर तैनात की गई हैं। इलाके में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गये हैं। ’’
उन्होंने बताया कि जंतर मंतर के दोनों ओर अवरोधक लगाये गये हैं और पानी की बौछार करने वाली दो मशीनें भी वहां रखी गई हैं।
जहां किसान संसद चल रही है, उस इलाके में शुरूआत में मीडियाकर्मियों को जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। हालांकि, बाद में परिचय पत्र की जांच करने के बाद उन्हें अंदर जाने की अनुमति दे दी गई।
इससे पहले, 200 किसानों का समूह पुलिस सुरक्षा के बीच बसों में सिंघू सीमा प्रदर्शन स्थल से जंतर मंतर पर पूर्वाह्न 11 बजे से शाम पांच बजे तक प्रदर्शन करने पहुंचा।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले जंतर मंतर पर 200 किसानों के समूह के प्रदर्शन का पहला दिन दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा दी गई अनुमति के अनुरूप शांतिपूर्वक संपन्न हो गया।
प्रदर्शनकारी किसान संघों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा से इस बारे में शपथपत्र देने को कहा गया था कि वे कोविड के सभी नियमों का अनुपालन करेंगे और शांतपिपूर्ण आंदोलन करेंगे।
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद यह पहला मौका है जब अधिकारियों ने किसान संघों को शहर के अंदर प्रदर्शन करने की अनुमति दी है।
प्रदर्शनकारी किसान संघों की सरकार के साथ 10 से अधिक दौर की वार्ता गतिरोध को दूर कर पाने में नाकाम रही है।
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