10 सालों में भारतीयों की औसत ऊंचाई में आई भारी गिरावट, दुनियाभर में हुई बढ़ोतरी
By विशाल कुमार | Published: September 28, 2021 03:47 PM2021-09-28T15:47:50+5:302021-09-28T16:12:08+5:30
दुनियाभर में औसत ऊंचाई में वृद्धि के संदर्भ में 1998-99 से उल्लेखनीय वृद्धि के बाद 2005-06 से 2015-16 के दशक में भारत में वयस्क पुरुषों और महिलाओं की औसत ऊंचाई में चिंताजनक रूप से गिरावट आई. सबसे गरीब तबके की महिलाओं ने आदिवासी महिलाओं की तरह सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की.
नई दिल्ली: दुनियाभर में औसत ऊंचाई में वृद्धि के संदर्भ में 1998-99 से उल्लेखनीय वृद्धि के बाद 2005-06 से 2015-16 के दशक में भारत में वयस्क पुरुषों और महिलाओं की औसत ऊंचाई में चिंताजनक रूप से गिरावट आई. सबसे गरीब तबके की महिलाओं ने आदिवासी महिलाओं की तरह सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इसी अवधि में अमीर वर्गों में महिलाओं की औसत ऊंचाई में काफी सुधार हुआ, जो यह दर्शाता है कि औसत ऊंचाई पोषण और अन्य सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों से कितनी जुड़ी हुई है.
ओपन एक्सेस साइंस जर्नल पीएलओएस वन में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात सामने आई है, जिसमें 1998-99, 2005-06 और 2015-16 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) से वयस्क महिलाओं और पुरुषों की औसत ऊंचाई की तुलना की गई.
जेएनयू के सेंटर ऑफ सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ के अध्ययन से पता चला है कि 1998-99 और 2005-06 के बीच, जाति, धर्म और राज्य की परवाह किए बिना विश्लेषण किए गए दोनों आयु समूहों में महिलाओं की औसत ऊंचाई में सुधार हुआ था, मेघालय को छोड़कर, जिसमें गिरावट देखी गई.
2015-16 के दशक के लिए 15-25 समूह के विपरित 26-50 वर्ष आयु वर्ग की अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और सबसे गरीब लोगों को छोड़कर महिलाओं की औसत ऊंचाई में मामूली सुधार हुआ.
अध्ययन में कहा गया कि दिलचस्प बात यह है कि एनएफएचएस-4 (2015-16) में 15-25 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं की ऊंचाई एनएफएचएस-3 (2005-06) की समान आयु वर्ग की महिलाओं की तुलना में घट गई है. ये 90 के दशक के बाद के जन्म समूहों से आते हैं, वह अवधि जब भारत में नवउदारवादी नीतियों ने रफ्तार हासिल की थी.
शोधकर्ताओं ने एनएफएचएस -3 डेटा का विश्लेषण करने के लिए यह दिखाया कि औसत पांच वर्षीय एसटी लड़की औसत सामान्य जाति की लड़की से 2 सेमी छोटी है.
उन्होंने सामाजिक-आर्थिक स्थिति में अंतर को एसटी और सामान्य जाति के बच्चों के बीच ऊंचाई के पूरे अंतर के लिए जिम्मेदार पाया.
हालांकि, पुरुषों में ऊंचाई में सबसे अधिक गिरावट आदिवासी पुरुषों, सामान्य वर्ग और आश्चर्यजनक रूप से सबसे अमीर वर्ग में देखी गई, जबकि 2005-06 और 2015-16 के बीच पुरुषों की औसत ऊंचाई में सामान्य गिरावट आई थी.