किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार के लिए नई परेशानी, श्रम कानूनों पर अब ट्रेड यूनियनों की केंद्र को घेरने की तैयारी

By हरीश गुप्ता | Published: January 25, 2021 07:54 AM2021-01-25T07:54:48+5:302021-01-25T07:54:48+5:30

नरेंद्र मोदी सरकार इन दिनों किसानों के आंदोलन को खत्म कराने की कोशिश में जुटी है. इस बीच ट्रेड यूनियन भी मैदान में उतरने की तैयारी में लग गए हैं. मोदी सरकार ने संसद के मानसून सत्र (2019) में ही श्रम कानून से संबंधित चार विधेयकों को पारित कराया था.

Amid Farmers protest Modi govt labour law now in question as trade unions preparing to oppose | किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार के लिए नई परेशानी, श्रम कानूनों पर अब ट्रेड यूनियनों की केंद्र को घेरने की तैयारी

ट्रेड यूनियनों ने की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की तैयारी (फाइल फोटो)

Highlights श्रम कानून से संबंधित चार विधेयकों के खिलाफ अब ट्रेड यूनियनों की मैदान में उतरने की तैयारीकृषि कानूनों की तरह मानसून सत्र (2019) में श्रम कानून से संबंधित चार विधेयकों को सरकार ने पारित कराया थाकानूनों पर देश की 13 प्रमुख ट्रेड यूनियनों में से 10 ने सरकार से नये सिरे से बातचीत की मांग की है

नई दिल्ली: किसानों की दो माह से चल रही हड़ताल के कारण नरेंद्र मोदी सरकार की कुछ अन्य सुधारों को लागू करने की योजना पर विराम लगने की आशंका बढ़ गई है.

प्रधानमंत्री कार्यालय जबकि संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर किसानों की हड़ताल खत्म करने की कोशिश में हैं, चार श्रम संहिता विधेयकों (लेबर कोड्स) के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है.

उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों की ही तरह मोदी सरकार ने संसद के मानसून सत्र (2019) में श्रम कानून से संबंधित चार विधेयकों को पारित करा लिया था. तब सरकार ने यह वादा करके परेशानी को टाला था कि श्रम मंत्रालय द्वारा नियम तय करने और ट्रेड यूनियनों और हितधारकों से चर्चा के बाद ही इन्हें लागू किया जाएगा.

अब देश की 13 प्रमुख ट्रेड यूनियनों में से 10 ने नियमों का निर्धारण करके नये सिरे से बातचीत की मांग की है. यूनियनों के मुताबिक फैसला द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय सलाह-मशविरे के बाद होना चाहिए. इसमें इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, आईयूटक शामिल हैं.

श्रम कानून: क्या है यूनियनों का आरोप

यूनियनों का आरोप है कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से बातचीत के बगैर ही संसद में श्रम कानून संबंधित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करा लिया गया. यूनियनों के मुताबिक इनका असर 50 करोड़ मजदूरों पर पड़ेगा.

उल्लेखनीय तौर पर संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के पदाधिकारी अनुबंधित कर्मचारियों के संरक्षण की मांग को लेकर श्रम मंत्री से अलग से मिलेगा.

इनकी मांग है कि नये कोड्स में कांट्रेक्टर के लिए कर्मचारी को ईएसआई और ईपीएफ से जोड़ना अनिवार्य होना चाहिए. इस बीच श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने श्रम संहिता को लागू करने की तारीख का ऐलान टाल रखा है.

श्रम कानूनों से जुड़ी मुख्य बातें

जनवरी 2021: इस माह के अंत तक श्रम मंत्रालय लेबर कोड्स के नियमों का निर्धारण करेगी.

2019: संसद में औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व कामकाज की शर्तों पर लेबर कोड्स को पारित किया गया.

2015: श्रम मंत्रालय ने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार कोड्स में समाहित करने का फैसला किया. इसे पारित कराने में चार साल लग गए.

Web Title: Amid Farmers protest Modi govt labour law now in question as trade unions preparing to oppose

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