MGNREGA: उम्र में संशोधन चाहते हैं कई राज्य, मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या भी 20 गुना बढ़ी
By संतोष ठाकुर | Published: May 24, 2020 07:20 AM2020-05-24T07:20:15+5:302020-05-24T07:20:15+5:30
कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच बड़ी संख्य में लोग शहर छोड़ अपने गांव लौटे हैं. इस वजह से औसत दिनों में जहां देश में मनरेगा में काम मांगने वालों की संख्या 2 लाख तक होती थी तो वहीं अब यह संख्या 35 से 40 लाख के बीच में पहुंच गई है.
देश के कई राज्यों ने केंद्र सरकार से कहा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा में काम करने वालों की उम्र में संशोधन की इजाजत उन्हें दी जाए. इसकी वजह बताते हुए राज्यों ने कहा है कि उनके पास कई ऐसे लोग आ रहे हैं जो 60 वर्ष से ऊपर के हैं और मनरेगा के तहत गांव-देहात में मजदूरी करना चाहते हैं.
मनरेगा में कार्य करने की उम्र 18 वर्ष से लेकर 60 वर्ष तक है. जिन राज्यों ने इस तरह की मांग की है उनमें उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, झारखंड और दक्षिण के कुछ राज्य शामिल हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग वापस अपने गांव लौट आए हैं. इस समय ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतर रोजगार और कारोबार बंद हैं. इसके अलावा गांव-देहात के साथ के शहरों में भी कार्य पूरी क्षमता से शुरू नहीं हुआ है.
इसकी वजह यह है कि सप्लाई चेन अभी पूरी तरीके से सक्रिय नहीं हो पाई है. वहीं, गांव पहुंचे लोगों के सामने आजीविका का संकट है. उन्हें अपना घर-परिवार चलाने के लिए रोजगार की जरूरत है. ऐसे में वे मनरेगा में काम करके कुछ आय हासिल करना चाहते हैं, जिससे कि वह अपना और परिवार का भरण-पोषण कर पाएं. मनरेगा में कार्य मांगने के लिए आ रहे लोगों में कई ऐसे हैं जिनकी उम्र 70 वर्ष तक भी है.
उनका कहना है कि वह शारीरिक रूप से निरोग और तंदुरु स्त हैं. वह भूख से नहीं मरना चाहते हैं. यही वजह है कि वह काम करना चाहते हैं. मनरेगा में कई ऐसे कार्य हैं जो अधिक उम्र के लोगों से भी कराया जा सकता है लेकिन इसके लिए केंद्र से संस्तुति की जरूरत होगी. राज्य अपने स्तर पर इससे जुड़े फैसले नहीं कर सकते हैं.
काम मांगनेवालों की संख्या 20 गुना बढ़ी: इस अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने फिलहाल उम्र में संशोधन को लेकर कोई भी फैसला नहीं किया है. यह केवल ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है. अगर उम्र में किसी तरह का संशोधन किया जाता है तो इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी लेने की जरूरत होगी.
वहीं, गांव-देहात में मनरेगा को लेकर मजदूर किस तरह आवेदन कर रहे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि औसत दिनों में जहां देश में मनरेगा में काम मांगने वालों की संख्या 180000 से लेकर 2 लाख तक होती थी तो वहीं अब यह संख्या 35 से 40 लाख के बीच में पहुंच गई है. जबकि गांव-देहात में इतने बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर मनरेगा के तहत उपलब्ध नहीं हैं.
कुछ राज्य सरकारों ने अपने मजदूरों को आश्वस्त किया है कि वह केंद्र सरकार से चर्चा करने के बाद भूतल सड़क राजमार्ग निर्माण और रेलवे की ओर से लॉकडाउन के समय रेल की पटरी के सुधार के साथ ही चलाए जा रहे अन्य कार्य में इनको रोजगार देने के लिए बात करेंगे. लेकिन यह कार्य भी त्वरित आधार पर उपलब्ध नहीं हो सकता है. ऐसे में मजदूरों को कुछ दिन इंतजार ही करना होगा.