जेडीयू में क्या होने वाला है! नागरिकता संशोधन विधेयक पर नाराजगी के बीच प्रशांत किशोर की आज नीतीश कुमार से मुलाकात
By विनीत कुमार | Published: December 14, 2019 09:38 AM2019-12-14T09:38:50+5:302019-12-14T09:38:50+5:30
राज्य सभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि संसद में बहुमत प्रबल रहा लेकिन अब न्यायपालिका से आगे भारत की आत्मा को बचाने का जिम्मा 16 गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर है।
जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के उपाध्यक्ष आज नीतीश कुमार से मुलाकात कर सकते हैं। ये मुलाकात इस लिहाज से अहम है क्योंकि हाल में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) पर जेडीयू के संसद में स्टैंड को लेकर प्रशांत किशोर कई बार नाराजगी जता चुके हैं। प्रशांत किशोर ने लोकसभा और फिर राज्य सभा में भी जेडीयू के नागरिकता विधेयक पर नरेंद्र मोदी सरकार को समर्थन देने को लेकर आपत्ति जताई थी। नागरिकता संशोधन इसी हफ्ते संसद के दोनों सदनों में पास हुआ और फिर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसे अपनी मंजूरी दे दी।
Janata Dal-United (JDU) Vice President Prashant Kishor will be meeting Bihar Chief Minister Nitish Kumar today. pic.twitter.com/dG7iWhgZKl
— ANI (@ANI) December 14, 2019
हालांकि, इस बिल को लेकर विपक्ष की कई पार्टियों का विरोध है। पूर्वोत्तर राज्यों में भी इस बिल के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के मामले सामने आए जिसके बाद असम के गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ में कर्फ्यू तक लगाने की नौबत आ गई। जेडीयू नेता प्रशांत किशोर ने राज्य सभा में बिल पास होने के बाद गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों से इसे नहीं लागू करने की बात कही थी।
प्रशांत किशोर ने कहा है कि संसद में बहुमत प्रबल रहा लेकिन अब न्यायपालिका से आगे भारत की आत्मा को बचाने का जिम्मा 16 गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर है जिन्हें इसे अपने राज्य में लागू करना है। प्रशांत किशोर ने साथ ही कहा कि तीन राज्यों ने साफ कर दिया है वे इसे अपने यहां लागू नहीं करेंगे, लेकिन अब बाकी राज्यों के लिए भी अपना स्टैंड लेने का समय है।
प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को ट्वीट किया, 'संसद में बहुमत प्रबल रहा। अब न्यायपालिका से आगे 16 गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर भारत की आत्मा बचाने का जिम्मा है क्योंकि ये वो राज्य हैं जिन्हें अपने यहां इसे लागू करना है। तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने सीएबी और एनआरसी को 'न' कह दिया है। अब दूसरे लोगों के लिए अपना स्टैंड साफ करने का समय है।'
इससे पहले उन्होंने लोकसभा में बिल होने के बाद कहा था कि जेडीयू को उन लोगों के बारे में विचार करना चाहिए जिन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में उनमें आस्था और विश्वास को दोहराया था। किशोर ने बुधवार को ट्वीट में कहा, 'कैब का समर्थन करते हुए, जद(यू) नेतृत्व को एक पल के वास्ते उन सभी के बारे में विचार करना चाहिए, जिन्होंने 2015 में उनमें आस्था और विश्वास को दोहराया था।'
जद(यू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और राष्ट्रीय महासचिव पवन के वर्मा ने खुले तौर पर जदयू के लोकसभा में विधेयक के पक्ष में मतदान करने पर निराशा व्यक्त करते हुए नीतीश से इसपर उच्च सदन में कानून पर बहस के दौरान फिर से विचार करने का आग्रह किया था।