अमरनाथ यात्रा: धार्मिक कम, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की यात्रा ज्यादा लग रही है

By सुरेश डुग्गर | Published: July 13, 2019 08:42 PM2019-07-13T20:42:51+5:302019-07-13T20:42:51+5:30

‘हर-हर महादेव’, ‘जयकारा वीर बजरंगी’ और ‘जय बाबा अमरनाथ बर्फानी, भूखे को अन्न, प्यासे को पानी’ के नारों से जम्मू कश्मीर की धरती फिर गूंजने लगी है। नारे लगाने वालों की भीड़ दिनों के साथ बढ़ती जा रही है।

Amarnath Yatra: It is a Less Religious, but National Unity and Integrity Journey | अमरनाथ यात्रा: धार्मिक कम, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की यात्रा ज्यादा लग रही है

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

न कोई धमकी, न कोई प्रतिबंध, न कोई हादसा और न ही कोई प्राकृतिक त्रासदी इन बढ़ने वालों के कदमों को रोक पा रही हैं। जहां तक कि यात्रा प्रबंधों में प्रशासन की नीतिओं के चलते अभी से फैलने वाली अव्यवस्थाओं से वे दो-चार तो हो रहे हैं लेकिन उन्हें यह अव्यवस्थाएं भी रोक नहीं पा रही हैं जिन्हें पार कर 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा में दर्शनार्थ पहुंचने वालों के कदम नहीं रुक रहे हैं।

चाहे कुछ भी हो या कुछ भी कहा जाए यह सच्चाई है कि अमरनाथ यात्रा दिनों के बीतने के साथ ही राष्ट्रीय एकता और अखंडता की यात्रा के रुप में भी सामने आ रही है। यात्रा में भाग लेने वाले किसी एक प्रदेश के नहीं है, बल्कि सारे देश के विभिन्न भागों से आने वाले इसमें शामिल हैं तो कईयों के दिलों में यह भी जज्बा है कि कश्मीर हिन्दुस्तान का है और वे अमरनाथ यात्रा में भाग लेकर इस जज्बे को प्रदर्शित कर सकते हैं।

वैसे कई श्रद्धालु यात्रा के दौरान भारत माता की जय, पाकिस्तान मुर्दाबाद और आतंकवाद विरोधी नारे लगा इस जज्बे को प्रदर्शित भी कर रहे हैं। जिसने इस यात्रा को धार्मिक कम और राष्ट्रीय एकता तथा अखंडता की यात्रा अधिक बना दिया है हर बार की ही तरह।

यात्रा में भाग लेना वैसे इस बार इतना आसान नहीं है क्योंकि प्रशासन की नीतिओं के चलते यात्रा में भाग लेने के लिए पंजीकरण आवश्यक हो गया है। ऐसा भी नहीं है कि इंतजार मात्र ने भाग लेने वालों के मनोबल को कम किया हो, बल्कि बावजूद इसके वे यात्रा में शामिल हो रहे और रोचक बात यह है कि इन अधिकतर भाग लेने वाले यात्रियों की कि वे अनुमति पहलगाम यात्रा मार्ग की ले रहे हैं और चले जा रहे हैं बालटाल के उस रास्ते से जो जोखिम भरा तो है लेकिन एक ही दिन में इस मार्ग का प्रयोग कर पवित्र शिवलिंग के दर्शन किए जा सकते हैं।

परिणाम यह है कि ‘हर-हर महादेव’, ‘जयकारा वीर बजरंगी’ और ‘जय बाबा अमरनाथ बर्फानी, भूखे को अन्न, प्यासे को पानी’ के नारों से जम्मू कश्मीर की धरती फिर गूंजने लगी है। नारे लगाने वालों की भीड़ दिनों के साथ बढ़ती जा रही है। आने वालों की बाढ़ में बस एक जज्बा है उन आतंकवादियों के विरूद्ध भारतीय एकता का परिचय देना जो हमेशा यात्रा पर खतरे के रूप में मंडराते रहते हैं।

पौने दो लाख के करीब लोग अभी तक वार्षिक अमरनाथ यात्रा में शामिल हो चुके हैं। हालांकि, जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस बार 8 लाख की संख्या निर्धारित की है भाग लेने वालों की लेकिन बढ़ती भीड़ को प्रतिकूल मौसम चिढ़ा रहा है।

Web Title: Amarnath Yatra: It is a Less Religious, but National Unity and Integrity Journey

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