ग्रामीण इलाकों में कोविड जांच, पृथक-वास सुविधाओं की कमी के आरोप अपुष्ट : सरकार
By भाषा | Published: June 11, 2021 10:30 PM2021-06-11T22:30:39+5:302021-06-11T22:30:39+5:30
नयी दिल्ली, 11 जून केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 की जांच, पृथक-वास, क्लीनिकल प्रबंधन सुविधाओं और पीपीई किट की कमी के संबंध में ट्विटर के प्रयोक्ताओं के आरोपों को अपुष्ट बताया है।
मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर बताया कि कुछ ट्वीट में यह भी कहा गया है कि पहाड़ों पर दूरदराज के गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर रैपिट एंटीजन किट की उपलब्धता है और आरटी-पीसीआर जांच के लिए नमूने भी लिए जाते हैं। यह ग्रामीण और दूरदराज के इलाके में कोविड के प्रबंधन में सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है। ट्विटर के कुछ प्रयोक्ताओं ने ग्रामीण इलाके में कोविड-19 प्रबंधन को लेकर ट्वीट किए थे। ऐसे ट्वीट में जांच, पृथक-वास और क्लीनिकल प्रबंधन सुविधाओं की कमी, स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा अधिक दवा दिए जाने, पीपीई की कमी के मुद्दे उठाए गए थे। बयान में कहा गया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात डॉक्टर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा तय प्रोटोकॉल के तहत प्रशिक्षित किए गए हैं।
मंत्रालय ने कहा कि शहरों के आसपास के इलाके, ग्रामीण और जनजातीय इलाकों में कोविड-19 प्रबंधन को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया जारी की गयी थी। मंत्रालय ने दूर दराज के स्वास्थ्य केंद्रों पर भी इन निर्देशों को प्रसारित करने के लिए कदम उठाए। बयान में कहा गया कि राज्यों को सलाह दी गयी है कि अगर मरीज गृह पृथक-वास संबंधी निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करता है तो उसे गृह पृथक-वास में नहीं रखा जाना चाहिए। पीपीई के मामले में बड़े स्तर पर निर्माण सुविधाएं तैयार की गयीं। अब भारत दुनिया में पीपीई का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है और हर दिन 10 लाख पीपीई बनाए जाते हैं। राज्यों को मांग से अधिक पीपीई उपलब्ध कराए गए हैं।
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