इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेपी ग्रीन्स के अवैध बने हेलीपैड को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ढहाया, अवैध निर्माण को रोकने का भी निर्देश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 12, 2022 11:09 AM2022-11-12T11:09:22+5:302022-11-12T11:16:22+5:30

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2000-01 में जेएएल को 237 एकड़ जमीन आवंटित की थी। इसमें गोल्फ कोर्स के लिए 193.5 और आवासीय गतिविधियों के लिए 42 एकड़ जमीन आवंटित था, जिसमें विला, आवास आदि बनाया जाना शामिल था। लेकिन, बिना कोई नक्शा पास कराए इस योजना में अवैध रूप से हेलीपैड बना लिया गया...

allahabah High Court order illegal helipad of Jaypee Greens was demolished by Greater Noida Authority | इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेपी ग्रीन्स के अवैध बने हेलीपैड को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ढहाया, अवैध निर्माण को रोकने का भी निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेपी ग्रीन्स के अवैध बने हेलीपैड को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ढहाया, अवैध निर्माण को रोकने का भी निर्देश

Highlightsप्राधिकरण ने माना कि बिना अनुमति के हेलीपैड का संचालन किया जा रहा था। हेलीपैड ध्वस्त करने और अवैध निर्माण को रोकने का निर्देश तीन नवंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दिया था।

नोएडाः  ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शुक्रवार को जेपी ग्रीन्स की लग्जरी आवासीय परियोजना में ‘अवैध रूप से’ बने हेलीपैड को ध्वस्त कर दिया। ये हेलीपैड शहर के बीचोंबीच स्थित है। जेपी ग्रीन्स परियोजना के तहत गोल्फ कोर्स की जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण को भी रोकने का निर्देश दिया है। जेपी ग्रीन्स रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिस पर अदालत ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को कार्रवाई का आदेश दिया था।

प्राधिकरण ने माना कि बिना अनुमति के हेलीपैड का संचालन किया जा रहा था। उच्च न्यायालय अब मामले में सुनवाई छह दिसंबर को करेगा। हेलीपैड ध्वस्त करने और अवैध निर्माण को रोकने का निर्देश तीन नवंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी उस नए आदेश के जवाब में आया, जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को जेपी ग्रीन्स आरडब्ल्यूए द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। एक याचिका फरवरी 2021 में दायर की गई थी, जिसमें गोल्फ कोर्स की भूमि पर अवैध निर्माण को उजागर किया गया था जबकि दूसरी याचिका अगस्त 2021 में दायर की गई थी, जिसमें जेपी ग्रीन्स के बाहर संचालित एक हेलीपैड और एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत और संचालन) सुविधा को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋतु माहेश्वरी ने कहा, ‘‘हमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार हेलीपैड को ध्वस्त करना पड़ा क्योंकि स्वीकृत नक्शे के उल्लंघन में हेलीपैड जेपी ग्रीन्स के भीतर आया था। हम गोल्फ कोर्स की जमीन पर अवैध निर्माण की भी जांच कर रहे हैं।’’ जेएएल के उपाध्यक्ष अशोक खेरा ने विस्तार से जानकारी दिए बगैर कहा, ‘‘जेपी ग्रीन्स में कोई परिचालन हेलीपैड नहीं था, यह एक अस्थायी निर्माण था जिसे ध्वस्त कर दिया गया है। गोल्फ कोर्स की जमीन पर अवैध निर्माण का आरोप गलत है।’’ जेपी ग्रीन्स आरडब्ल्यूए ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में आरोप लगाया कि जेएएल हेलीपैड का संचालन करता है और आवासीय भवनों के ठीक बीच में एक एमआरओ सुविधा भी है और इन केंद्रों के कारण निवासियों के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा हो गया है। निवासियों ने यह भी आरोप लगाया कि जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) ने वहां अवैध ढांचे का निर्माण करके लगभग 50 एकड़ गोल्फ कोर्स भूमि को नष्ट कर दिया।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2000-01 में जेएएल को 237 एकड़ जमीन आवंटित की थी। इसमें गोल्फ कोर्स के लिए 193.5 और आवासीय गतिविधियों के लिए 42 एकड़ जमीन आवंटित था, जिसमें विला, आवास आदि बनाया जाना शामिल था। लेकिन, बिना कोई नक्शा पास कराए इस योजना में अवैध रूप से हेलीपैड बना लिया गया और गोल्फ कोर्स क्षेत्र में आवासीय टावर बनाए गए, जिसके विरोध में स्थानीय निवासियों ने उच्च न्यायालय का रुख किया। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सहायक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) अमनदीप डुली ने बताया कि अवैध निर्माण की जांच की जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जीएनआईडीए ने शुक्रवार को जेपी ग्रीन्स सोसाइटी में निर्माण कार्य रुकवा दिया। अब प्राधिकरण निर्माण की जांच करेगा। उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।’’ जेपी ग्रीन्स आडब्ल्यूए के सदस्य शुभ गौतम ने कहा, ‘‘मूल स्वीकृत नक्शा में कुल गोल्फ कोर्स क्षेत्र 193.5 एकड़ था। अवैध निर्माण के कारण वनस्पति और हरा भरा स्थान नष्ट होने से यह घटकर 144 एकड़ तक पहुंच गया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि प्राधिकरण में कई शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया। उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण से गोल्फ कोर्स क्षेत्र में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है। 

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