इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 साल पुराने मर्डर केस में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बरी करने का फैसला बरकरार रखा

By रुस्तम राणा | Published: May 19, 2023 05:28 PM2023-05-19T17:28:31+5:302023-05-19T17:28:31+5:30

न्यायमूर्ति अताउ रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने 2004 में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित उनके बरी करने के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की अपील को खारिज कर दिया।

Allahabad HC Upholds Acquittal Of Union Minister Ajay Mishra In 23-Year-Old Murder Case | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 साल पुराने मर्डर केस में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बरी करने का फैसला बरकरार रखा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 साल पुराने मर्डर केस में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बरी करने का फैसला बरकरार रखा

Highlights2000 में, प्रभात गुप्ता की लखीमपुर खीरी में सरे बाजार में घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थीप्राथमिकी में अजय मिश्रा टेनी समेत चार लोगों को नामजद किया गया थाट्रायल कोर्ट ने 2004 में सबूतों के अभाव में टेनी को बरी कर दिया था

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रभात गुप्ता हत्याकांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बरी किए जाने के फैसले को शुक्रवार को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति अताउ रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने 2004 में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित उनके बरी करने के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की अपील को खारिज कर दिया।

अजय मिश्रा 2021 लखीमपुर खीरी हत्याकांड के आरोपी आशीष मिश्रा के पिता हैं। उच्च न्यायालय में हत्या के मामले की सुनवाई मंगलवार को ही खत्म हो गई थी। 21 फरवरी 2023 को मामले की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 2000 में, प्रभात गुप्ता की उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में सरे बाजार में घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रभात समाजवादी पार्टी की युवा शाखा के सदस्य थे, जबकि टेनी तब भाजपा से जुड़े थे। 

प्राथमिकी में अजय मिश्रा टेनी समेत चार लोगों को नामजद किया गया था। मामले के अन्य आरोपी सुभाष मामा, शशि भूषण पिंकी और राकेश डालू हैं।
ट्रायल कोर्ट ने 2004 में सबूतों के अभाव में टेनी को बरी कर दिया था। 2004 में, यूपी सरकार ने फिर ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया। यूपी सरकार की दलील थी कि पंचायत चुनाव को लेकर तेनी का प्रभात से विवाद था। सरकार की ओर से आरोप लगाया गया कि प्रभात को टेनी व अन्य आरोपी सुभाष मामा ने गोली मारी है.

इस घटना के चश्मदीद गवाह भी थे, जिनकी गवाही को ट्रायल कोर्ट ने नजरअंदाज कर दिया था। इस पर बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि कथित चश्मदीद की गवाही को निचली अदालत ने विश्वसनीय नहीं माना क्योंकि वह उस दुकान का कर्मचारी था जहां घटना हुई थी। बचाव पक्ष ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा अजय मिश्रा टेनी को बरी करने का फैसला सही था।

इससे पहले अब तक दो बार फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। इसे पहली बार 12 मार्च, 2018 को जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और दिनेश कुमार सिंह द्वारा आरक्षित किया गया था। जस्टिस रमेश सिन्हा और रेणु अग्रवाल के आदेश पर 10 नवंबर, 2022 को इसे दूसरी बार सुरक्षित रखा गया था।

Web Title: Allahabad HC Upholds Acquittal Of Union Minister Ajay Mishra In 23-Year-Old Murder Case

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